प्रदेश में चुनाव प्रणाली में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। जल्द ही ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष को चुनने का अधिकार सीधे जनता को दिया जाएगा।
Elections in UP: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव की आहट सुनाई दे रही है। प्रदेश सरकार स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो आने वाले समय में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जनता सीधे अपने मताधिकार से करेगी, ठीक वैसे ही जैसे सांसद या विधायक चुने जाते हैं।
पंचायती व्यवस्था में होगा ऐतिहासिक बदलाव
वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चयन संबंधित क्षेत्र के निर्वाचित पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है, लेकिन अक्सर इस प्रक्रिया पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। दलगत राजनीति, घोड़ाबाज़ारी और दबाव की राजनीति ने कई बार इस प्रक्रिया की गरिमा को चोट पहुंचाई है। अब प्रदेश सरकार इस पर लगाम लगाने और जनता की भागीदारी को और अधिक प्रत्यक्ष बनाने के लिए कमर कस चुकी है।
प्रदेश के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर इस बदलाव के मुखर पक्षधर हैं। शुक्रवार को उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से उनके समक्ष रखा। उनका कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों पर जनता को निर्णय लेने का अधिकार मिलना चाहिए, ताकि वास्तविक लोकतंत्र की भावना साकार हो सके।
राजभर ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस विचार से सहमति जताई है और अधिकारियों को निर्देश देने की बात कही है कि प्रस्ताव जल्द तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा जाए। राजभर ने यह भी जानकारी दी कि इस विषय में उन्होंने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी, और शाह ने भी इस विचार का समर्थन किया था।
जनता के हाथों में आएगी सीधी सत्ता की चाबी
यदि यह व्यवस्था लागू होती है, तो इससे आम जनता को पंचायत प्रशासन में सीधी भागीदारी का अवसर मिलेगा। अब तक जनता सिर्फ ग्राम प्रधान या जिला पंचायत सदस्यों को चुनती थी, लेकिन अब उसे सीधे रूप से शीर्ष पदों के लिए भी मतदान करने का अधिकार मिलेगा। इससे राजनीतिक पारदर्शिता में इज़ाफा होगा, और दलगत राजनीति की पकड़ थोड़ी ढीली हो सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा होगा, तो इन पदों के लिए चुनाव लड़ने वालों को भी जनता के बीच जाकर अपनी योजनाएं और कामकाज का खाका प्रस्तुत करना होगा। इससे न केवल राजनीतिक जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में भी स्पष्टता आएगी।
नए कानून या संशोधन की आवश्यकता
इस बदलाव के लिए पंचायत राज अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता होगी। राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगी, जिसके बाद इस पर संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया के तहत विचार किया जाएगा। केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह प्रणाली आगामी पंचायत चुनावों में लागू की जा सकती है। इस कदम पर प्रदेश की अन्य राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रियाएं आना अभी बाकी हैं, लेकिन यह तय है कि यह निर्णय आने वाले पंचायत चुनावों की तस्वीर पूरी तरह बदल देगा। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य दलों के लिए भी यह एक नई रणनीतिक चुनौती होगी कि वे कैसे इस नए प्रणाली में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखें।