अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 'गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड' बनाने की घोषणा की है। 175 अरब डॉलर की लागत से यह हाईटेक सुरक्षा प्रणाली 2029 तक तैयार होगी, जो दुश्मन की मिसाइलों और ड्रोन से देश की रक्षा करेगी।
America: दुनिया में इस समय कई जगहों पर युद्ध और सैन्य तनाव का माहौल बना हुआ है। रूस-यूक्रेन संघर्ष, इज़राइल-गाज़ा युद्ध और भारत-पाकिस्तान के बीच आए दिन होने वाली सैन्य झड़पों ने इस सच्चाई को उजागर कर दिया है कि किसी देश की सुरक्षा अब सिर्फ परंपरागत हथियारों से नहीं, बल्कि अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से सुनिश्चित की जा सकती है।
इसी कड़ी में अब अमेरिका भी अपनी सुरक्षा को और पुख्ता करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका ‘गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड’ का निर्माण करेगा। यह एक आधुनिक और पूर्णतया सुसज्जित एयर और मिसाइल डिफेंस सिस्टम होगा, जो अमेरिका को संभावित बाहरी हमलों से बचाने में सक्षम होगा।
ट्रंप बोले – अब समय है अमेरिका को सुरक्षित बनाने का
राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “हम गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा कर रहे हैं। यह कुछ ऐसा है जिसकी कल्पना वर्षों पहले हमारे 40वें राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने की थी। उस समय तकनीक नहीं थी, लेकिन अब हमारे पास वह शक्ति है।”
ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने चुनावी अभियान के दौरान वादा किया था कि अमेरिका को विदेशी मिसाइल हमलों से सुरक्षित किया जाएगा, और अब वह इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।
क्या है 'गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड'?
ट्रंप द्वारा घोषित यह सुरक्षा कवच एक बहुस्तरीय मिसाइल डिफेंस सिस्टम होगा, जो अमेरिका की हवाई और अंतरिक्ष सीमाओं पर चौकसी रखेगा। इसका मुख्य उद्देश्य रूस, चीन या किसी भी शत्रु राष्ट्र की मिसाइलों, हाइपरसोनिक वेपन्स, और AI-ड्रोन से अमेरिका की रक्षा करना है।
यह सिस्टम शत्रु द्वारा दागी गई मिसाइल को अंतरिक्ष में ही पहचान कर उसका पता लगाएगा, उसे ट्रैक करेगा और इंटरसेप्टर मिसाइल की मदद से हवा में ही तबाह कर देगा।
क्या होंगे 'गोल्डन डोम' के खास फीचर?
100% सफलता के बेहद करीब – ट्रंप ने कहा कि यह सिस्टम लगभग 100% सफलता दर के साथ कार्य करेगा।
सैटेलाइट-आधारित सुरक्षा – इसमें सैकड़ों उन्नत सैटेलाइट्स होंगे जो किसी भी संभावित खतरे को तुरंत ट्रैक कर सकेंगे।
हाइपरसोनिक और AI हथियारों से निपटने में सक्षम – यह डिफेंस शील्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल, क्रूज मिसाइल और AI से लैस ड्रोन जैसे अत्याधुनिक खतरों को भी रोक सकेगा।
रियल-टाइम इंटरसेप्शन – दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने की क्षमता।
175 अरब डॉलर की लागत
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर अमेरिका की सरकार 175 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है। ट्रंप ने बताया कि इस डिफेंस शील्ड को जनवरी 2029 तक पूरी तरह से सक्रिय करने का लक्ष्य रखा गया है। बता दें कि उसी साल ट्रंप का कार्यकाल भी समाप्त होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना की निगरानी और संचालन की जिम्मेदारी अमेरिकी अंतरिक्ष सेना के जनरल माइकल गुएटलीन को सौंपी गई है।
क्यों ज़रूरी है अमेरिका के लिए यह डिफेंस शील्ड?
हाल ही में इज़राइल ने ‘Iron Dome’ नामक डिफेंस सिस्टम का प्रभावी उपयोग किया है, जो दुनिया भर में चर्चा का विषय बना। उसी मॉडल को ध्यान में रखते हुए अमेरिका अब ‘Golden Dome’ लेकर आ रहा है, लेकिन ट्रंप ने दावा किया है कि यह उससे कहीं ज़्यादा एडवांस होगा।
दुनिया में बदलते सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए अमेरिका को अब ऐसी प्रणाली की जरूरत है, जो उसकी मातृभूमि की रक्षा कर सके। चीन, रूस और नॉर्थ कोरिया जैसे देशों की आक्रामक नीतियों के बीच यह प्रोजेक्ट अमेरिका की रक्षा नीति में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है।