Chicago

जयपुर की मिठाइयों में अब 'श्री' की मिठास, 'पाक' शब्द हटाकर रचा देशभक्ति का नया स्वाद

नाम में क्या रखा है? शेक्सपियर की यह प्रसिद्ध उक्ति इन दिनों जयपुर में मिठाइयों के संदर्भ में बहस का विषय बन गई है। जयपुर की कुछ प्रमुख मिठाई दुकानों ने अपनी पारंपरिक मिठाइयों के नामों से 'पाक' शब्द हटाकर उसकी जगह 'श्री' जोड़ना शुरू कर दिया है। 

जयपुर: गुलाबी नगरी जयपुर के मिठाई बाजार में इन दिनों एक नई सांस्कृतिक लहर चल रही है। वर्षों से लोकप्रिय मिठाइयों के नामों से अब ‘पाक’ शब्द हटाकर ‘श्री’ शब्द जोड़ा जा रहा है। यह बदलाव केवल एक भाषाई निर्णय नहीं है, बल्कि देशभक्ति की भावना से प्रेरित सांस्कृतिक अभिव्यक्ति बन गया है। अब तक 'मैसूर पाक', 'आम पाक', 'गोंद पाक' जैसी मिठाइयों को 'मैसूर श्री', 'आम श्री' और 'गोंद श्री' नामों से नवाजा गया है।

मिठास में देशप्रेम का स्वाद

जयपुर के वैशाली नगर स्थित ‘त्योहार स्वीट्स’ की संचालिका अंजलि जैन कहती हैं, "हमारा उद्देश्य सिर्फ मिठाई बेचना नहीं है, बल्कि संस्कृति और राष्ट्रप्रेम को भी सहेजना है। ‘पाक’ शब्द का अर्थ चाहे कुछ भी हो, परंतु आज के संदर्भ में यह कई लोगों के लिए भावनात्मक असुविधा का कारण बनता है। इसलिए हमने तय किया कि अब हमारी मिठाइयों में ‘श्री’ की पवित्रता और भारतीयता झलकेगी।

उन्होंने बताया कि हाल ही में देश में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के विरुद्ध उभरते जनाक्रोश को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। यह कदम प्रतीकात्मक होने के साथ ही भारतीयों की भावनाओं को सम्मान देने वाला है।

पुराने नाम, नई पहचान

जयपुर के प्रसिद्ध ‘बॉम्बे मिष्ठान भंडार’ और ‘अग्रवाल कैटरर्स’ ने भी इसी राह पर चलते हुए अपनी मिठाइयों के नामों से ‘पाक’ शब्द हटाने का निर्णय लिया है। ‘बॉम्बे मिष्ठान भंडार’ के महाप्रबंधक विनीत त्रिखा बताते हैं, हमारी पहल का उद्देश्य एक स्पष्ट संदेश देना है कि भारत की संस्कृति और भावनाएं सर्वोपरि हैं। ‘मोती पाक’ अब ‘मोती श्री’ बन चुका है और ग्राहकों ने इसे खुले दिल से अपनाया है।

उन्होंने कहा कि ये नाम बदलाव केवल व्यावसायिक रणनीति नहीं है, बल्कि भावनात्मक उत्तरदायित्व है, जिसमें हमारी मिठाइयों के ज़रिए भारत की अस्मिता और गौरव को उजागर किया जा रहा है।

जनमानस की सहमति

इस पहल को न केवल मिठाई दुकानदारों का समर्थन मिल रहा है, बल्कि आमजन भी इससे भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। सेवानिवृत्त शिक्षिका पुष्पा कौशिक ने बताया, जब मैंने पहली बार 'मैसूर श्री' नाम सुना, तो गर्व महसूस हुआ। यह केवल नाम नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं का सम्मान है। इसी तरह स्थानीय व्यवसायी रमेश भाटिया मानते हैं कि यह बदलाव भले ही छोटा प्रतीत हो, लेकिन इसकी सांस्कृतिक गूंज बड़ी है। "यह निर्णय हमारे सैनिकों और देश के लिए समर्थन का मीठा इजहार है।

भाषाविदों के अनुसार ‘पाक’ शब्द फारसी मूल का है, जिसका अर्थ होता है ‘शुद्ध’, ‘पवित्र’ या ‘मीठा व्यंजन’। हिंदी व्याकरण में यह पाक कला, भोजन निर्माण से जुड़ा है। लेकिन आज के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में यह शब्द कुछ लोगों के लिए पाकिस्तान के संदर्भ में नकारात्मक अर्थ ग्रहण कर चुका है। ऐसे में भावनाओं की प्राथमिकता व्याकरण से ऊपर मानी जा रही है।

Leave a comment