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BrahMos Missile: लखनऊ में रक्षा स्वावलंबन की नई उड़ान, भारतीय सेना को मिलेगा रणनीतिक बल

लखनऊ की इस अत्याधुनिक यूनिट में अब दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइलों में गिनी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया जाएगा। ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 से बढ़ाकर 400 किलोमीटर तक कर दी गई है और इसकी गति Mach 2.8 है, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है। 

लखनऊ: भारत की सामरिक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के उद्देश्य से लखनऊ में आज से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का उत्पादन शुरू हो गया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में वर्चुअल माध्यम से हुई। लखनऊ के डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर नोड पर तैयार यह यूनिट भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

तीन माध्यमों से दागी जा सकने वाली मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है, जिसकी गति मैक 2.8 (यानी ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज) और मारक क्षमता 290 से 400 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल ‘फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक पर आधारित है, जो एक बार लक्ष्य तय कर लेने के बाद खुद मार्गदर्शन कर सटीक प्रहार करती है। यह मिसाइल थल, जल और वायु—तीनों माध्यमों से प्रक्षेपित की जा सकती है।

इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास 26 दिसंबर 2021 को किया गया था और मात्र साढ़े तीन वर्षों में इसे पूरा कर लिया गया। 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई इस यूनिट के लिए 80 हेक्टेयर भूमि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई गई थी। यह कारखाना उत्तर प्रदेश को न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूत करेगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार और टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के नए रास्ते भी खोलेगा।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2018 में घोषित उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के छह नोड्स लखनऊ, झांसी, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट और कानपुर में यह ब्रह्मोस यूनिट अब तक की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक मजबूत कदम होगी।

ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट के शुभारंभ के साथ ही एक और अहम परियोजना डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम (DTIS) का भी शिलान्यास किया गया। यह प्रणाली रक्षा उत्पादों के परीक्षण और प्रमाणन के लिए आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगी। इससे रक्षा निर्माण की गुणवत्ता में सुधार और वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

नई औद्योगिक क्रांति की ओर लखनऊ

इस अवसर पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस और एयरो एलॉय टेक्नोलॉजी पर आधारित लघु फिल्मों का भी प्रदर्शन किया गया। इन फिल्मों ने इस परियोजना की तकनीकी जटिलताओं, निर्माण प्रक्रियाओं और रणनीतिक महत्व को दर्शाया। इसके साथ ही युवाओं और स्टार्टअप्स को भी इस क्षेत्र में नवाचार के लिए प्रेरित किया गया।लखनऊ में ब्रह्मोस का उत्पादन शुरू होना भारत की सैन्य तैयारियों को स्पष्ट रूप से मजबूती देता है। 

यह पहल विशेष रूप से ऐसे समय में हो रही है जब भारत को अपने पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन से सीमा पर लगातार तनाव का सामना करना पड़ता है। ब्रह्मोस मिसाइल की सटीकता और उच्च गति से प्रहार करने की क्षमता भारत की पहली स्ट्राइक या रक्षात्मक रणनीतियों में निर्णायक साबित हो सकती है।

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