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HAL से नाराज हुए एयर चीफ, तेजस Mk-1A डिलीवरी में देरी पर जताई चिंता

HAL से नाराज हुए एयर चीफ, तेजस Mk-1A डिलीवरी में देरी पर जताई चिंता

तेजस Mk-1A की डिलीवरी में देरी पर वायुसेना प्रमुख ने HAL की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उत्पादन में देरी, इंजन की सप्लाई की कमी और सर्टिफिकेशन में अड़चनों के चलते डिलीवरी टल रही है।

Defence News: भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए स्वदेशी तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Mk-1A एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है, लेकिन इसकी डिलीवरी में देरी ने चिंता बढ़ा दी है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने एक बार फिर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पर नाराजगी जताई है। आइए समझते हैं इस मुद्दे की पूरी कहानी, देरी के कारण, और भविष्य की रणनीति क्या है।

तेजस Mk-1A की डिलीवरी में देरी पर क्यों भड़के वायुसेना प्रमुख?

तेजस Mk-1A जेट्स की डिलीवरी में हो रही देरी वायुसेना के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गई है। वायुसेना प्रमुख ने 29 मई 2025 को CII बिजनेस समिट में इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इंडस्ट्री को वही वादे करने चाहिए जो वो पूरे कर सके। इससे पहले, फरवरी 2025 में एयरो इंडिया शो के दौरान भी उन्होंने HAL पर भरोसा न होने की बात कही थी। उनका कहना है कि HAL जैसी हमारी अपनी कंपनी से "हो जाएगा" वाला रवैया ठीक नहीं है।

तेजस Mk-1A प्रोजेक्ट का सफर

फरवरी 2021 में वायुसेना ने HAL के साथ 48000 करोड़ रुपये का करार किया था, जिसके तहत 83 तेजस Mk-1A जेट्स की डिलीवरी होनी थी। तय हुआ था कि पहला जेट 31 मार्च 2024 तक वायुसेना को मिल जाएगा, लेकिन डेडलाइन पूरी नहीं हो पाई। अब HAL ने वादा किया है कि नवंबर 2024 से डिलीवरी शुरू कर दी जाएगी।

डिलीवरी में देरी के मुख्य कारण

तेजस Mk-1A की डिलीवरी में देरी के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है GE Aerospace द्वारा इंजन की आपूर्ति में देरी। अमेरिकी कंपनी GE Aerospace को 99 F404-IN20 इंजन देने थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद सप्लाई चेन में दिक्कतें आईं। दक्षिण कोरियाई कंपनियों से कुछ जरूरी पुर्जे मिलने में भी देरी हुई। HAL को पहला इंजन मार्च 2025 में मिला और इस साल 12 इंजन मिलने की उम्मीद है।

इसके अलावा, तकनीकी सर्टिफिकेशन में भी दिक्कतें आईं। नए सिस्टम जैसे EL/M-2052 रडार, उत्तम AESA रडार, Astra मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के टेस्ट और सर्टिफिकेशन में देरी हुई। Astra मिसाइल और रडार के टेस्ट जनवरी 2025 में शुरू हुए थे।

उत्पादन की रफ्तार भी धीमी रही। HAL की बेंगलुरु और नासिक फैसिलिटी पर उत्पादन में चुनौतियां आईं। हालांकि, नासिक में एक नई प्रोडक्शन लाइन शुरू की गई है, जिससे सालाना 16-24 तेजस Mk-1A जेट्स का उत्पादन हो सकेगा।

वायुसेना की बढ़ती चिंताएं

वायुसेना के पास इस समय 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। पुराने MiG-21, MiG-27 और जगुआर जैसे विमान रिटायर हो रहे हैं, जिससे वायुसेना की युद्धक क्षमता पर असर पड़ा है। ऐसे में तेजस Mk-1A की डिलीवरी में देरी वायुसेना की चिंता को और बढ़ा रही है, खासकर तब जब 2025 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ा है और मजबूत फ्लीट की जरूरत और ज्यादा हो गई है।

HAL का जवाब और आगे की रणनीति

HAL के चेयरमैन डी.के. सुनील का कहना है कि तकनीकी समस्याएं अब काफी हद तक सुलझ चुकी हैं। इंजन मिलने के बाद डिलीवरी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी। HAL ने वादा किया है कि 2025 के अंत तक 12 तेजस Mk-1A जेट्स डिलीवर कर दिए जाएंगे। इसके अलावा 2028 तक पूरे 83 जेट्स की डिलीवरी पूरी हो जाएगी।

HAL ने बेंगलुरु और नासिक में तीन प्रोडक्शन लाइन बनाई हैं, जिनसे हर साल 24 जेट्स बनाने की क्षमता होगी। इसके अलावा Alpha Tocol जैसी निजी कंपनियों को भी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, जो फ्यूजलेज सप्लाई कर रही हैं।

GE Aerospace की भूमिका और प्रगति

GE Aerospace ने मार्च 2025 में पहला F404-IN20 इंजन HAL को दिया। कंपनी का कहना है कि सप्लाई चेन की समस्याएं अब काफी हद तक सुलझ चुकी हैं और 2025 में कुल 12 इंजन मिल जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिका यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया था, जिससे प्रोजेक्ट में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है।

भविष्य की योजनाएं और वायुसेना की उम्मीदें

वायुसेना भविष्य में 97 और तेजस Mk-1A जेट्स खरीदने की योजना बना रही है, जिसका अनुमानित खर्च 67,000 करोड़ रुपये होगा। यह ऑर्डर 2031 तक पूरा होगा। इसके अलावा तेजस Mk-2 प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है, जिसमें ज्यादा ताकतवर GE-F414 इंजन का इस्तेमाल होगा। इसका पहला उड़ान टेस्ट 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में हो सकता है।

5वीं पीढ़ी का AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट भी तैयार किया जा रहा है, लेकिन इसमें भी देरी की आशंका है।

रक्षा मंत्रालय की पहल

रक्षा मंत्रालय ने डिलीवरी में हो रही देरी को दूर करने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति बनाई है, जिसकी अध्यक्षता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह कर रहे हैं। इस समिति ने सुझाव दिया है कि निजी कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा शामिल किया जाए और उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि डिलीवरी समय पर हो सके।

तेजस Mk-1A की खासियत

तेजस Mk-1A एक अत्याधुनिक फाइटर जेट है, जिसमें उत्तम AESA रडार, Astra मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम शामिल है। इसमें 70% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो भारत की आत्मनिर्भरता को दिखाता है। यह फाइटर जेट हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमले करने में पूरी तरह सक्षम है।

चुनौतियां और समाधान

तेजस Mk-1A प्रोजेक्ट के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं: इंजन की कमी, सर्टिफिकेशन में देरी और HAL की सीमित उत्पादन क्षमता। इन चुनौतियों से निपटने के लिए HAL ने नई प्रोडक्शन लाइन शुरू की है, GE Aerospace के साथ सप्लाई चेन मसलों पर बातचीत कर रहा है और निजी कंपनियों की मदद ले रहा है।

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