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महिला कांग्रेस ने CM हिमंत सरमा के खिलाफ खोला मोर्चा, बोलीं- 'माफी मांगें मुख्यमंत्री'

असम पंचायत चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि असम में कांग्रेस के शासन के दौरान महिलाओं ने सरकारी नौकरी पाने के लिए गलत रास्ता अपनाया। इस बयान पर असम कांग्रेस की महिला शाखा ने कड़ा विरोध जताया।

नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा हाल ही में एक विवादास्पद बयान के कारण सुर्खियों में आ गए हैं। असम पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने महिलाओं को लेकर एक टिप्पणी की, जिससे राज्य की महिला कांग्रेस में जबरदस्त आक्रोश फैल गया। मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि कांग्रेस के शासन के दौरान महिलाओं ने सरकारी नौकरी पाने के लिए गलत रास्ता अपनाया था। उनके इस बयान के बाद असम कांग्रेस की महिला शाखा ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और सरमा से माफी की मांग की।

महिलाओं के सम्मान पर हमला: विरोध बढ़ा

असम प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष मीरा बोरठाकुर गोस्वामी ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरमा ने आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता से लेकर उच्च सरकारी पदों तक काम करने वाली सभी महिलाओं का अपमान किया है। गोस्वामी ने कहा, हम इस अपमानजनक बयान को बर्दाश्त नहीं करेंगे और जब तक मुख्यमंत्री माफी नहीं मांगते, हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

गोस्वामी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को पत्र लिखकर सरमा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सभी पूर्वोत्तर राज्यों के महिला आयोगों के समक्ष इस मुद्दे पर शिकायत दर्ज कराई जाएगी और मामले की सीबीआई जांच की भी मांग की जाएगी।

भाजपा नेताओं के पुतले जलाने की धमकी

महिला कांग्रेस की अध्यक्ष ने यह भी घोषणा की कि विरोध प्रदर्शन पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भा.ज.पा. नेताओं के पुतले जलाए जाएंगे और महिलाएं पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एकजुट होंगी। गोस्वामी ने आगे कहा, हम सभी पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस की महिला शाखाओं को एक संयुक्त मंच पर लाने के लिए काम करेंगे, ताकि हम महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को सशक्त तरीके से उठा सकें।

मुख्यमंत्री के बयान पर सवाल

सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने अपनी टिप्पणी में एक गवाह के बयान का हवाला दिया था, जो उनके अनुसार महिलाओं के सरकारी नौकरी पाने के तरीके को लेकर चिंतित था। हालांकि, गोस्वामी ने इस गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस बयान को केवल सामान्य तरीके से पेश किया गया है, जबकि इसमें निहित जानकारी को सही तरीके से संदर्भित नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरमा चयनात्मक तरीके से मामले को प्रस्तुत कर रहे हैं और उन्होंने उन रिपोर्टों का जिक्र नहीं किया जिनमें और भी खुलासे हुए हैं।

अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की महिला नेताओं का समर्थन

असम की महिला कांग्रेस के अलावा, अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की महिला कांग्रेस नेताओं ने भी सरमा के बयान की आलोचना की और उनकी माफी की मांग की। त्रिपुरा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सरबानी चक्रवर्ती ने कहा कि जब तक सरमा माफी नहीं मांगते, उनका विरोध जारी रहेगा। उन्होंने सीबीआई जांच की भी मांग की और कहा कि मामले में पूरी जांच होनी चाहिए। 

मिजोरम महिला कांग्रेस की प्रमुख गोगबिनलियानी दियानी ने भी सरमा के बयान को गलत ठहराया और कहा कि वह उस कांग्रेस सरकार का हिस्सा थे, जहां कथित अनियमितताएं हुई थीं, इसलिए उन्हें जांच से बचने का कोई अधिकार नहीं है।

नागालैंड महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अकुमला पोगेम ने भी सरमा पर तीखा हमला करते हुए कहा, महिलाओं के बारे में इस प्रकार की सोच रखने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री जैसे उच्च पद पर बैठने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मेघालय और मणिपुर की महिला कांग्रेस अध्यक्षों ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई और कहा कि जब तक मुख्यमंत्री माफी नहीं मांगते, उनका विरोध जारी रहेगा।

मामला और गहराई तक जाएगा?

महिला कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन ने असम में सीएम हिमंत बिस्व सरमा के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खड़ा कर दिया है। यह मामला सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि महिला अधिकारों से जुड़ा हुआ है, जो अब राष्ट्रीय स्तर तक फैल सकता है। अगर मुख्यमंत्री माफी नहीं मांगते हैं, तो यह मामला और गहराई तक जा सकता है, और देशभर में महिलाओं के खिलाफ बयानबाजी के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन भी जन्म ले सकता है।

महिला कांग्रेस की यह लड़ाई सिर्फ असम तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस की महिला शाखाओं को एकजुट करने का प्रयास किया जाएगा। इस मामले में अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा कब और कैसे इस विवाद का समाधान निकालते हैं।

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