पंजाब CM भगवंत मान की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें सभी दलों ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का विरोध किया। अब CM मोदी से 5 मई को मिलेंगे।
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा के बीच पानी बंटवारे को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। हरियाणा की अतिरिक्त पानी मांगने की मांग के खिलाफ पंजाब की सभी राजनीतिक पार्टियां एक मंच पर आ गई हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में यह फैसला लिया गया कि अब हरियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने की केंद्र से मिलने की घोषणा
बैठक के बाद CM मान ने कहा कि 5 मई को विधानसभा के विशेष सत्र के बाद वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और पंजाब का पक्ष रखेंगे। उन्होंने कहा, "हरियाणा को उसके हिस्से का पानी पहले ही दिया जा चुका है, अब एक बूंद भी अतिरिक्त नहीं दी जाएगी।"
CM मान ने हरियाणा सरकार के रवैये को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि पानी लेने का तरीका 'दबाव और धमकी' वाला नहीं चलने वाला।
सभी दलों ने दिखाई एकजुटता
बैठक में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), बीजेपी और अकाली दल के प्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी ने स्पष्ट किया कि पंजाब के पास जो पानी है, वह राज्य की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं है, ऐसे में अतिरिक्त पानी देने का सवाल ही नहीं उठता।
सुनील जाखड़ का बड़ा बयान
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी CM भगवंत मान का समर्थन किया। उन्होंने कहा: "अगर पंजाब के पास पानी नहीं है तो वह किसी और को कैसे दे सकता है? मैं पंजाबी हूं और पंजाब के साथ हूं। इसके लिए मुझे किसी से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है।"
जाखड़ ने यह भी कहा कि जो विवाद बना, वह सिर्फ राई का पहाड़ था, और बातचीत से इसका समाधान हो सकता था।
विपक्ष ने जताई एकजुटता पर संतुष्टि
CM मान ने सर्वदलीय एकजुटता पर खुशी जताते हुए कहा कि यह राज्यहित का मुद्दा है और इस पर सभी पार्टियों को एक साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि इस मुद्दे को हल कराने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
क्या है विवाद की जड़?
हरियाणा सरकार ने पंजाब से 4000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी मांगा था। पंजाब का कहना है कि उसकी अपनी नदियों में पानी की कमी है और जल संकट की स्थिति है। ऐसे में किसी भी राज्य को अतिरिक्त पानी देना संभव नहीं है।
विधानसभा का विशेष सत्र 5 मई को
CM मान ने बताया कि 5 मई को बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र में पानी के मुद्दे पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव लाया जाएगा, जिसे लेकर वह दिल्ली रवाना होंगे और प्रधानमंत्री से मुलाकात कर पंजाब का पक्ष रखेंगे।