देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था, सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अपनी पूरी ताकत हासिल कर ली है। आज सुप्रीम कोर्ट के तीन नए न्यायाधीशों जस्टिस एन. वी. अंजनिया, जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर ने मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की मौजूदगी में शपथ ली।
SC Judge Oath: आज सुप्रीम कोर्ट में तीन नए जजों ने शपथ ली, जिससे शीर्ष अदालत में फिर से कुल 34 जजों की पूर्ण संख्या बहाल हो गई है। जस्टिस एन. वी. अंजनिया, जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने उन्हें शपथ दिलाई। खास बात यह रही कि जस्टिस विजय बिश्नोई ने हिंदी में शपथ ली।
इन नियुक्तियों को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई को सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति ने 29 मई को मंजूरी दी, और केंद्र सरकार ने इसके बाद अधिसूचना जारी की।
नियुक्ति प्रक्रिया और सिफारिश
तीनों न्यायाधीशों की नियुक्ति 26 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के आधार पर हुई थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने 29 मई को इन नियुक्तियों को मंजूरी दी। केंद्र सरकार ने तुरंत ही अधिसूचना जारी करते हुए इन न्यायाधीशों की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति की पुष्टि की। इस नियुक्ति के साथ ही शीर्ष अदालत ने लंबे समय से चली आ रही न्यायाधीशों की कमी को दूर कर एक मजबूत और सक्षम पैनल तैयार कर लिया है।
नए जजों की पृष्ठभूमि
नए जजों में सबसे पहले जस्टिस एन. वी. अंजनिया शामिल हैं, जो पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उनका मूल गुजरात उच्च न्यायालय से जुड़ा है। जस्टिस विजय बिश्नोई गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं और उनका मूल राजस्थान उच्च न्यायालय है। जबकि जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रह चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने इस अवसर पर कहा कि न्यायपालिका की मजबूती के लिए पूरी टीम का होना जरूरी है। उन्होंने नए न्यायाधीशों का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि वे देश की न्यायिक प्रणाली को और अधिक विश्वसनीय और मजबूत बनाएंगे। खास बात यह रही कि जस्टिस विजय बिश्नोई ने शपथ हिंदी में ली, जिससे इस समारोह का भाव और भी देशभक्ति से भरपूर हो गया।
न्यायिक कार्यकाल
नए न्यायाधीशों का कार्यकाल भी इस बार काफी लंबा होगा, जो भारतीय न्यायपालिका के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
- जस्टिस एन. वी. अंजनिया का कार्यकाल 23 मार्च 2030 तक रहेगा।
- जस्टिस विजय बिश्नोई 25 मार्च 2029 तक न्यायिक सेवा में रहेंगे।
- जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर का कार्यकाल 7 अप्रैल 2030 तक है।
सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान स्थिति
इन नियुक्तियों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी संपूर्ण न्यायाधीश संख्या 34 पर पहुंच ली है, जो कि भारत के सबसे बड़े संवैधानिक न्यायालय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे अदालत के विभिन्न मामलों की सुनवाई में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि पिछले कुछ समय में जजों की कमी के कारण लंबित मामलों का बोझ बढ़ा था।
हालांकि, 9 जून 2025 को न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी के सेवानिवृत्त होने के बाद एक सीट फिर खाली हो जाएगी, लेकिन इसके बावजूद अदालत की कार्यक्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान नियुक्तियां एक संकेत हैं कि सरकार और न्यायपालिका मिलकर देश की न्यायिक प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।
न्यायपालिका में तेजी से सुधार की उम्मीद
इन नई नियुक्तियों को लेकर न्यायिक वकील वर्ग और आम जनता में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है। लंबे समय से जजों की कमी के कारण कई मामलों की सुनवाई प्रभावित हो रही थी, जिससे न्याय मिलने में देरी हो रही थी। अब जब सुप्रीम कोर्ट पूरी ताकत के साथ काम करेगा तो उम्मीद है कि देश के संवैधानिक और अन्य महत्वपूर्ण मामलों का निपटारा तेज गति से होगा।