Chicago

हार्वर्ड फंडिंग विवाद: ट्रंप ने हार्वर्ड से मांगी विदेशी छात्रों की डिटेल, जताई नाराजगी

डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर हमला बोला, 31% विदेशी छात्रों की जानकारी मांगी। फंडिंग रोकने की धमकी दी। कोर्ट ने अस्थायी रोक लगाई, भारतीय छात्रों के भविष्य पर संकट।

Harvard University: अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हार्वर्ड को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर तीखा हमला बोला है। ट्रंप ने दावा किया है कि हार्वर्ड में पढ़ने वाले लगभग 31% छात्र विदेशी हैं, जिनमें से कई ऐसे देशों से आते हैं जो अमेरिका के लिए दोस्ताना रवैया नहीं रखते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हार्वर्ड अमेरिकी सरकार से अरबों डॉलर का फंड लेता है, लेकिन विदेशी छात्रों की जानकारी साझा करने से बच रहा है।

ट्रंप का बड़ा बयान: जानना चाहते हैं कौन हैं ये 31% विदेशी छात्र?

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, “हार्वर्ड यह क्यों नहीं बता रहा कि उनके लगभग 31% स्टूडेंट्स विदेशी देशों से हैं, जिनमें से कुछ अमेरिका के लिए बिल्कुल भी फ्रेंडली नहीं हैं? ये देश अमेरिका के लिए कुछ नहीं करते, न ही उनके छात्रों की पढ़ाई के लिए कुछ भुगतान करते हैं। हार्वर्ड के पास 52 करोड़ डॉलर (करीब 4 अरब रुपये) का फंड है, तो उसे इसका इस्तेमाल करना चाहिए और फेडरल गवर्नमेंट से पैसा लेना बंद करना चाहिए।”

हार्वर्ड पर लगे गंभीर आरोप: क्या कहती है अमेरिकी सरकार?

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में हार्वर्ड के Student and Exchange Visitor Program (SEVP) सर्टिफिकेशन को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। इसका मतलब यह है कि हार्वर्ड अब नए विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे पाएगा, और मौजूदा करीब 7,000 विदेशी छात्रों को या तो दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर करना होगा या फिर उनका वीजा रद्द हो सकता है।

अमेरिकी Homeland Security Secretary क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, “हार्वर्ड हिंसा, यहूदी-विरोधी विचारधारा और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संबंधों को बढ़ावा दे रहा है। विदेशी छात्रों को दाखिला देना एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं। सभी यूनिवर्सिटीज को कानून का पालन करना चाहिए।”

हार्वर्ड का जवाब: कोर्ट का रुख और अगला कदम

हार्वर्ड ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसे असंवैधानिक करार देते हुए बोस्टन की संघीय अदालत में केस दायर कर दिया है। हार्वर्ड का कहना है कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम विश्वविद्यालय की Academic Freedom, संविधान के First Amendment और Due Process का उल्लंघन है। हार्वर्ड का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय छात्र उनके मिशन का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना हार्वर्ड, हार्वर्ड नहीं रहेगा।

हार्वर्ड ने अपनी याचिका में कहा, “इस फैसले से यूनिवर्सिटी और उसके 7,000 से ज्यादा विदेशी छात्रों पर भारी असर पड़ेगा। हमारे करीब 27% छात्र अंतरराष्ट्रीय हैं, जिनमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल हैं। अगर यह फैसला लागू हुआ, तो हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग जाएगा।”

कोर्ट का फैसला: अस्थायी राहत, सुनवाई जारी

बोस्टन की डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन बरोज ने ट्रंप प्रशासन के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि हार्वर्ड को इससे नुकसान हो सकता है, इसलिए मामले की पूरी सुनवाई तक यह रोक जारी रहेगी। अगली सुनवाई की तारीख 27 और 29 मई तय की गई है।

फंडिंग का मुद्दा: अरबों डॉलर का सवाल

ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड के 2.2 बिलियन डॉलर के Federal Grants और 450 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त फंड को फ्रीज कर दिया है। प्रशासन ने हार्वर्ड से कहा है कि वह अपने Diversity, Equity, and Inclusion (DEI) प्रोग्राम्स बंद करे, Admissions Policy बदले, और कुछ Middle-East से जुड़े अकादमिक प्रोग्राम्स की ऑडिट कराए। हार्वर्ड ने इन मांगों को मानने से इनकार कर दिया है।

Leave a comment