आज के दौर में बच्चों की सेहत पर खतरा तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती जीवनशैली की चुनौतियों और मोबाइल, लैपटॉप जैसे गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल के कारण देश के बच्चे शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में कमजोर होते जा रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, भारत में लगभग 45% बच्चे ओवरवेट हैं, 28% बच्चे नियमित फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते और 67% बच्चे एक घंटे से भी कम समय बाहर खेलते हैं। इसके अलावा, बच्चों में मायोपिया यानी पास की नजर कमजोर होना, मोटापा, थायरॉइड, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि हम बच्चों की सेहत को सुधारने और मजबूत बनाने के लिए समर वैकेशन का सही इस्तेमाल करें।
बच्चों की सेहत पर बढ़ते खतरे
आज के समय में बच्चों की सेहत लगातार कमजोर होती जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है उनकी जीवनशैली में आया बदलाव। बच्चे दिनभर मोबाइल, टीवी या लैपटॉप जैसे गैजेट्स पर समय बिताते हैं। इससे न सिर्फ उनकी आंखों की रोशनी कमजोर हो रही है, बल्कि उनका शरीर भी धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है। रिसर्च के मुताबिक, देश में करीब 30% बच्चे मायोपिया यानी कमजोर नजर की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके अलावा बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम हो गई है, जिससे मोटापा, थायरॉइड, डायबिटीज जैसी बीमारियां भी कम उम्र में ही दिखने लगी हैं। जंकफूड की आदत और पौष्टिक आहार की कमी भी उनकी इम्यूनिटी को कमजोर कर रही है।
इन सभी शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। गैजेट्स पर ज्यादा समय बिताने से उनका ध्यान जल्दी भटकता है, वे चिड़चिड़े हो जाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं। लगातार नींद पूरी न होने और दिनचर्या अनियमित होने से उनमें तनाव और बेचैनी बढ़ने लगती है। इसका असर सीधे तौर पर उनकी पढ़ाई, सोचने-समझने की शक्ति और याददाश्त पर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि हम बच्चों को समय पर सोने-जागने, संतुलित आहार लेने और रोजाना शारीरिक गतिविधियां करने की आदत डालें। यही छोटे-छोटे बदलाव उनके वर्तमान और भविष्य दोनों को स्वस्थ और उज्ज्वल बना सकते हैं।
बच्चों की सेहत क्यों हो रही है कमजोर?
- जंकफूड और अस्वस्थ आहार: बच्चों में जंकफूड का सेवन दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। ये खाद्य पदार्थ पोषण की कमी करते हैं और मोटापे की ओर ले जाते हैं।
- फिजिकल एक्टिविटी की कमी: आज के बच्चे स्मार्टफोन, टीवी और गेमिंग में इतने व्यस्त हैं कि वे खेलने के लिए बाहर कम ही निकलते हैं, जिससे उनकी बॉडी एक्टिविटी घटती है।
- अधिक स्क्रीन टाइम: बढ़ता स्क्रीन टाइम बच्चों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम करता है, साथ ही दिमाग और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- नींद की कमी: बढ़ते तनाव और गैजेट्स की लत के कारण बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, जो उनकी ग्रोथ और इम्यूनिटी को प्रभावित करता है।
समर वैकेशन में बच्चों के लिए योग क्यों जरूरी है?
गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के लिए योग करना बहुत जरूरी है क्योंकि यह न केवल उनके शरीर को तंदरुस्त रखता है, बल्कि दिमाग को भी शांत और एकाग्र बनाता है। योग एक ऐसा आसान और प्राकृतिक तरीका है जिससे बच्चे बिना किसी दवा के सेहतमंद बन सकते हैं। स्वामी रामदेव भी बच्चों को रोजाना योग करने की सलाह देते हैं, ताकि उनकी इम्यूनिटी मजबूत हो और वे बीमारियों से दूर रहें। योग करने से बच्चों की हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे उनकी हाइट बढ़ने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा, योग बच्चों को तनाव, गुस्सा और चिड़चिड़ेपन से राहत दिलाता है और उनका मन पढ़ाई में अच्छे से लगता है। समर वैकेशन में जब बच्चों के पास समय ज्यादा होता है, तब उन्हें योग की आदत डालना आसान होता है, जो उनके जीवनभर काम आती है।
बच्चों में मोटापे से कैसे बचाएं?
घर का ताजा और पौष्टिक खाना दें: बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए सबसे जरूरी है कि उन्हें घर का बना ताजा और पौष्टिक खाना दिया जाए। बाजार के तले-भुने और जंकफूड जैसे चिप्स, पिज्जा, बर्गर या कोल्ड ड्रिंक से दूर रखें। घर पर दाल, चावल, सब्जी, रोटी जैसे संतुलित आहार को रोजाना की डाइट में शामिल करें ताकि शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल सकें।
फलों और हरी सब्जियों की आदत डालें: हर दिन बच्चों को ताजे फल और हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर दें। ये चीजें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती हैं जो न सिर्फ वजन कंट्रोल करती हैं, बल्कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाती हैं।
योग और खेलकूद की तरफ बढ़ाएं: बच्चों को टीवी, मोबाइल और वीडियो गेम से कम से कम समय के लिए जोड़ें और उन्हें बाहर खेलने, दौड़ने या योग करने के लिए प्रोत्साहित करें। सुबह का आधा घंटा योग या दौड़ बच्चों के शरीर को एक्टिव और फिट रखने में बहुत मदद करता है।
कैलोरी और पोषण का ध्यान रखें: बच्चों के खाने में कैलोरी की मात्रा संतुलित रखें। ज्यादा मीठी, तली हुई और चर्बीयुक्त चीजों से बचें। उनकी डाइट में दूध, दही, फल, सूखे मेवे और होल ग्रेन्स को शामिल करें, जिससे उनका विकास सही तरीके से हो और वजन भी कंट्रोल में रहे।
योग से बच्चों को क्या लाभ मिलता है?
फिट और मजबूत शरीर मिलता है: योग करने से बच्चों के शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और हड्डियां भी ज्यादा स्वस्थ रहती हैं। इससे उनका शरीर लचीला और एक्टिव बनता है। खासतौर पर बढ़ती उम्र में बच्चों के लिए यह जरूरी है कि उनका शारीरिक विकास अच्छे से हो, जिससे वे रोज़मर्रा की गतिविधियों को बिना थके कर सकें।
इम्यून सिस्टम होता है मजबूत: बच्चों की रोगों से लड़ने की ताकत यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में योग बहुत मदद करता है। नियमित योग करने से बच्चों को सर्दी, खांसी, एलर्जी जैसी छोटी बीमारियां बार-बार नहीं होतीं और उनका शरीर संक्रमणों से लड़ने में सक्षम बनता है।
दिमाग तेज और एकाग्रता बेहतर होती है: योग का सीधा असर बच्चों के दिमाग पर पड़ता है। इससे उनकी एकाग्रता, याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता में सुधार आता है। पढ़ाई में फोकस बढ़ता है और वे जल्दी चीजें समझ पाते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन घटता है: आज के बच्चे भी तनाव, चिड़चिड़ापन और गुस्से जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। योग करने से उनका मन शांत होता है और मानसिक संतुलन बना रहता है। इससे बच्चे खुश रहते हैं, उनका व्यवहार बेहतर होता है और वे पॉजिटिव सोचने लगते हैं।
बच्चों में बढ़ता मायोपिया
आज के समय में बच्चों में मायोपिया यानी पास की नजर कमजोर होना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। देश में लगभग 30% बच्चे इस परेशानी से जूझ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बच्चे घंटों मोबाइल, लैपटॉप या टीवी की स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं और उनकी आंखों पर लगातार जोर पड़ता है। इससे उनकी नजर धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। कमजोर नजर का असर न केवल उनकी पढ़ाई पर पड़ता है, बल्कि इससे सिरदर्द, आंखों में जलन, तनाव और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं। समय रहते बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना और आंखों की देखभाल करना बहुत जरूरी है।
बच्चों की सेहत को मजबूत और बेहतर बनाने के लिए सिर्फ गर्मी की छुट्टियां ही नहीं, बल्कि पूरे साल की जीवनशैली में सुधार करना होगा। योग, संतुलित आहार, फिजिकल एक्टिविटी और स्क्रीन टाइम कंट्रोल कर बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। समर वैकेशन बच्चों के लिए एक सुनहरा अवसर है जब वे नई आदतें अपनाकर जीवनभर के लिए स्वस्थ और मजबूत बन सकते हैं।