आज के दौर में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से कामकाज का हिस्सा बनता जा रहा है, वहीं इंटरव्यू के तौर-तरीकों में भी बदलाव देखा जा रहा है।
इंटरव्यू का नाम सुनते ही अधिकतर उम्मीदवारों को पसीना आ जाता है। सवालों की बौछार, आत्मविश्वास की कसौटी और हर जवाब में खुद को साबित करने की दौड़... लेकिन अब इस प्रक्रिया में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI अब इंटरव्यू रूम तक पहुंच चुका है, और कंपनियां इसे खुले मन से स्वीकार भी कर रही हैं। पहले जहां कोडिंग टेस्ट में AI टूल्स का प्रयोग ‘चीटिंग’ माना जाता था, अब वही टूल्स स्मार्टनेस की पहचान बन गए हैं।
AI का बढ़ता प्रभाव: एक नई शुरुआत
तकनीक के इस युग में जब हर काम का डिजिटल समाधान मौजूद है, तो इंटरव्यू प्रक्रिया क्यों पीछे रहे? खासकर तकनीकी नौकरियों में, कंपनियां अब उम्मीदवारों से उम्मीद करती हैं कि वे AI टूल्स की मदद लें और दिखाएं कि वे इनका इस्तेमाल कर प्रॉब्लम सॉल्व कैसे करते हैं। यह बदलाव महज सुविधा नहीं, बल्कि एक नई सोच का संकेत है जो दक्षता, समझ और निर्णय क्षमता पर आधारित है।
Canva का कदम: AI को अपनाने की पहल
डिजाइन और तकनीकी प्लेटफॉर्म Canva इस बदलाव की अगुवाई कर रहा है। कंपनी ने अपने तकनीकी इंटरव्यू में उम्मीदवारों को AI टूल्स जैसे ChatGPT, GitHub Copilot, Cursor और Claude के इस्तेमाल की अनुमति दी है। Canva का मानना है कि आज के दौर में AI से बचना मुश्किल ही नहीं, लगभग नामुमकिन हो गया है। ऐसे में बजाय इसे रोकने के, समझदारी इसी में है कि इसे अपनाया जाए और देखा जाए कि उम्मीदवार इन टूल्स के जरिए कैसे समस्याओं का समाधान निकालते हैं।
Canva के अनुसार, इंटरव्यू का उद्देश्य अब यह देखने का नहीं कि कोई उम्मीदवार कितना ‘मेमोराइज़’ करता है, बल्कि यह देखने का है कि वह वास्तविक कार्यस्थल की स्थितियों में कैसे प्रदर्शन करता है। खासकर तब, जब AI अधिकांश काम को आसान बना सकता है, तो जरूरी हो गया है कि कोई उम्मीदवार उस AI से निकले कोड को समझे, मूल्यांकन करे और जरूरत पड़ने पर उसमें सुधार भी कर सके।
Mastercard भी कर रहा AI के प्रयोग की तैयारी
Canva अकेली कंपनी नहीं है जो इस दिशा में आगे बढ़ रही है। फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी Mastercard भी अब अपने तकनीकी इंटरव्यू में AI टूल्स के प्रयोग की योजना बना रही है। कंपनी की आधिकारिक करियर वेबसाइट पर लिखा गया है कि कुछ तकनीकी पदों के लिए उम्मीदवारों को AI टूल्स के साथ टेक्निकल असेसमेंट करना होगा। उन्हें पहले से निर्देश दिए जाएंगे कि किस टूल का कैसे और कब उपयोग करना है।
इसका उद्देश्य साफ है – उम्मीदवारों की तकनीकी समझ, एथिकल जजमेंट और समस्या सुलझाने की वास्तविक क्षमता को परखना। इससे यह तय किया जा सकता है कि वह वास्तविक कार्य में भी कितना सक्षम है।
Scaler का अनुभव: ChatGPT से परख रहे उम्मीदवारों की योग्यता
Upskilling प्लेटफॉर्म Scaler के सह-संस्थापक अभिमन्यु सक्सेना का कहना है कि अब ‘प्रॉम्प्टिंग’ यानी AI से सही सवाल पूछने की कला को एक महत्वपूर्ण स्किल के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि कंपनी अपने इंटरव्यू में खासकर सीनियर डेवेलपर और आर्किटेक्ट जैसी भूमिकाओं के लिए उम्मीदवारों को ChatGPT जैसे टूल्स के इस्तेमाल की अनुमति देती है।
उनके अनुसार, सही उम्मीदवार वह है जो सिर्फ कोड जनरेट करने में ही निपुण न हो, बल्कि उस कोड की गुणवत्ता, सुरक्षा और समग्रता की जांच भी कर सके। जरूरत पड़े तो उसमें सुधार कर सके और अपनी जिम्मेदारी ले। यह स्किल आज की AI युग में बेहद अहम बन चुकी है।
Stack Overflow का नजरिया: AI टूल्स, लेकिन समझ जरूरी
प्रसिद्ध तकनीकी मंच Stack Overflow के CEO प्रशांत चंद्रशेखर ने इस ट्रेंड की तुलना क्लासरूम में कैलकुलेटर के इस्तेमाल से की। उन्होंने कहा कि जिस तरह पहले कैलकुलेटर को ‘चीटिंग’ माना जाता था, लेकिन बाद में उसे उपयोगी उपकरण के रूप में अपनाया गया, ठीक वैसे ही AI टूल्स भी बेसिक टास्क में मददगार हैं। लेकिन इनका उपयोग तभी प्रभावी होता है जब व्यक्ति मूल विषय की समझ रखता हो।
उन्होंने स्पष्ट किया कि AI का इस्तेमाल तब तक ठीक है, जब तक उम्मीदवार उसके आउटपुट को समझता है और उसके पीछे की लॉजिक की जिम्मेदारी लेता है। इससे न सिर्फ उसकी तकनीकी योग्यता का आकलन होता है, बल्कि यह भी समझ आता है कि वह AI को कितना नैतिक और प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करता है।
AI से आत्मविश्वास को खतरा नहीं, सहयोग की जरूरत
बहुत से उम्मीदवारों के मन में यह सवाल हो सकता है कि कहीं AI का बढ़ता उपयोग उनके आत्मविश्वास को खत्म न कर दे। लेकिन हकीकत यह है कि AI को सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है, प्रतिस्पर्धी के रूप में नहीं। इंटरव्यू अब उस दिशा में जा रहे हैं जहां उम्मीदवार की सोचने की क्षमता, विश्लेषण करने की योग्यता और निर्णय लेने की क्षमता की जांच की जाती है – न कि उसे कितनी चीजें याद हैं।
AI से डरने की बजाय, उसे सीखने और समझने की जरूरत है। क्योंकि आने वाला समय उन्हीं लोगों का है जो पारंपरिक कोडिंग और जनरेटिव AI दोनों में समान रूप से कुशल होंगे।
क्या बदल रहा है इंटरव्यू का स्वरूप?
इस तकनीकी बदलाव के साथ इंटरव्यू की प्रक्रिया भी बदल रही है। पहले जहां सवालों के जवाब देकर योग्यता साबित करनी होती थी, अब समस्याओं के समाधान ढूंढ़ने और उन्हें बेहतर बनाने की क्षमता को अधिक महत्व दिया जा रहा है। इसमें AI का सहयोग लेने में कोई बुराई नहीं, जब तक आप उस सहयोग की समझ रखते हैं।
इंटरव्यू का फोकस अब ‘क्या याद किया’ से हटकर ‘क्या समाधान निकाला’ पर आ गया है। यह न सिर्फ उम्मीदवारों को राहत देता है, बल्कि उन्हें उनकी वास्तविक भूमिका के लिए बेहतर तरीके से तैयार भी करता है।