Columbus

छात्रों की आवाज बने राहुल गांधी: पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांगी समय पर छात्रवृत्ति और बेहतर हॉस्टल सुविधाएं

छात्रों की आवाज बने राहुल गांधी: पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांगी समय पर छात्रवृत्ति और बेहतर हॉस्टल सुविधाएं

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर सामाजिक न्याय और शिक्षा के अधिकार की आवाज बुलंद की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वंचित समुदायों के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में हो रही देरी पर गंभीर चिंता जताई है।

नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हाशिए पर खड़े छात्रों की परेशानियों को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाने की एक नई पहल की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तृत पत्र लिखकर देशभर के दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों की शिक्षा से जुड़ी गंभीर समस्याओं की ओर ध्यान खींचा है।

राहुल गांधी ने अपने पत्र में न केवल छात्रवृत्ति में देरी, बल्कि बदहाल छात्रावासों और बुनियादी सुविधाओं की कमी पर भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो करोड़ों युवा प्रतिभाएं संसाधनों के अभाव में पीछे छूट जाएंगी।

छात्रवृत्ति में देरी बनी सबसे बड़ी बाधा

राहुल गांधी ने पत्र में विशेष रूप से मैट्रिक के बाद मिलने वाली छात्रवृत्तियों के भुगतान में हो रही देरी को रेखांकित किया। उन्होंने दावा किया कि हाशिए पर खड़े समुदायों के करीब 90 प्रतिशत छात्र ऐसी योजनाओं पर निर्भर हैं, लेकिन छात्रवृत्ति समय पर नहीं मिलने से उनकी पढ़ाई या तो रुक जाती है या वे उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां का छात्रवृत्ति पोर्टल तीन वर्षों तक ठप रहा, जिसके चलते 2021-22 में एक भी छात्र को स्कॉलरशिप नहीं मिली। यह न केवल सरकारी तंत्र की विफलता को दर्शाता है, बल्कि एक पीढ़ी के भविष्य को भी अंधेरे में धकेलता है।

छात्रावासों की हालत दयनीय

राहुल गांधी ने अपने हालिया बिहार दौरे का हवाला देते हुए दरभंगा स्थित आंबेडकर छात्रावास की दुर्दशा का विवरण भी साझा किया। उन्होंने बताया कि

  • एक कमरे में 6-7 छात्र रहने को मजबूर हैं।
  • शौचालय और पानी की सुविधा बदहाल है।
  • खाद्य सुविधा, पुस्तकालय और इंटरनेट जैसी बुनियादी सेवाएं मौजूद नहीं हैं।
  • उन्होंने इस हालात को "शिक्षा के अधिकार का मज़ाक" करार देते हुए प्रधानमंत्री से इस दिशा में त्वरित कदम उठाने की मांग की।

नीति स्तर पर सुधार की मांग

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि सरकार को इन दो अहम पहलुओं पर तत्काल नीति स्तर पर ठोस निर्णय लेने की जरूरत है: 

  • छात्रवृत्ति वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और गति लाई जाए।
  • छात्रावासों की बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं, जिससे गरीब और वंचित वर्ग के छात्र सम्मानपूर्वक शिक्षा प्राप्त कर सकें।
  • उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि छात्रवृत्ति पोर्टल को स्थायी और अपडेटेड रखा जाए ताकि बार-बार तकनीकी खराबी से छात्र प्रभावित न हों।

शिक्षा नहीं, सुविधाओं की लड़ाई बनती जा रही है

राहुल गांधी के इस पत्र ने यह उजागर किया है कि भारत में शिक्षा आज भी कई छात्रों के लिए ‘सपना’ है, जिसे सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक लापरवाही तोड़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय रहते सुधार नहीं किए गए, तो इससे न केवल छात्रों का नुकसान होगा, बल्कि देश की सामाजिक न्याय प्रणाली भी सवालों के घेरे में आ जाएगी।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह पत्र सिर्फ एक औपचारिक निवेदन नहीं, बल्कि राहुल गांधी की एक रणनीतिक पहल है, जिससे वे देश के युवा और वंचित तबके के बीच भरोसा कायम करना चाहते हैं। इससे पहले भी उन्होंने छात्र राजनीति, बेरोजगारी और युवाओं से जुड़े मुद्दों को खुलकर उठाया है।

Leave a comment