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भारतीय शेयर बाजार बना वैश्विक सरताज: अमेरिका-चीन को पछाड़ 1 खरब डॉलर की छलांग, निवेशकों की बल्ले-बल्ले

भारतीय शेयर बाजार बना वैश्विक सरताज: अमेरिका-चीन को पछाड़ 1 खरब डॉलर की छलांग, निवेशकों की बल्ले-बल्ले

भारतीय शेयर बाजार ने एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल करते हुए दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले स्टॉक मार्केट का दर्जा प्राप्त कर लिया है। अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों को पीछे छोड़ते हुए, भारत अब नंबर वन पोजिशन पर पहुंच गया है।

Stock Market: मार्च 2025 के बाद से भारतीय शेयर बाजार ने जिस तेज़ी से उड़ान भरी है, उसने न केवल घरेलू निवेशकों की झोली भर दी है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत को स्टॉक मार्केट का नया 'सरताज' बना दिया है। अमेरिका और चीन जैसे बड़े दिग्गज बाजारों को पछाड़ते हुए भारतीय शेयर बाजार ने 1 खरब डॉलर से ज्यादा की मार्केट कैपिटल बढ़त दर्ज की है, जो एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। अब भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है।

मार्च से जून 2025 तक का शानदार प्रदर्शन

मार्च 2025 की शुरुआत से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो भारत में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मार्केट कैप 5.33 खरब डॉलर तक पहुंच गया है। ये आंकड़ा मार्च की तुलना में 21% से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों की बढ़त बेहद मामूली रही।

जहां अमेरिका ने केवल 2.4% की वृद्धि दर्ज की, वहीं चीन सिर्फ 2.7% की बढ़त के साथ ठहर गया। इसके विपरीत, भारत की अर्थव्यवस्था और कॉर्पोरेट सेक्टर ने मिलकर निवेशकों को इतना भरोसा दिलाया कि बाजार ने शानदार छलांग लगाई।

वैश्विक रैंकिंग में भारत की धमक

भारत ने इस अवधि में न केवल एशियाई बाजारों को, बल्कि कई यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन जर्मनी ने किया, जहां की कंपनियों के मार्केट कैप में 14% की वृद्धि हुई।

टॉप 10 ग्लोबल मार्केट्स में मार्केट कैप वृद्धि (मार्च-जून 2025)

  1. भारत     - 21.2%
  2. जर्मनी - 14%
  3. कनाडा - 11%
  4. हांगकांग - 9.3%
  5. जापान - 8.2%
  6. यूके - 8%
  7. फ्रांस - 3.9%
  8. ताइवान - 3.2%
  9. चीन - 2.7%
  10. अमेरिका - 2.4%

सेंसेक्स-निफ्टी की तेजी और निवेशकों की चांदी

भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स जैसे सेंसेक्स और निफ्टी ने मार्च से अब तक क्रमशः 12.5% और 13.5% की ग्रोथ दर्ज की है। लेकिन असली कमाई तो मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में हुई, जहां निवेशकों को 20.7% और 26% तक का रिटर्न मिला है। इससे एक बात और स्पष्ट होती है कि सिर्फ बड़ी कंपनियां ही नहीं, बल्कि छोटी और मझोली कंपनियों में भी निवेशकों ने भरोसा दिखाया है, जिससे बाजार का आधार व्यापक हुआ है।

क्या है इस तेजी की वजहें?

  • राजनीतिक स्थिरता: हाल के आम चुनावों में स्पष्ट जनादेश और नीति स्थिरता ने निवेशकों को आश्वस्त किया है।
  • विकासोन्मुख बजट: केंद्र सरकार द्वारा घोषित प्रगतिशील बजट ने इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश को बढ़ावा दिया।
  • रेगुलेटरी सुधार: सेबी द्वारा लिक्विडिटी और पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास सफल रहे हैं।
  • रिटेल निवेशकों की भागीदारी: SIPs और डीमैट अकाउंट्स की संख्या में बंपर इजाफा हुआ है।

हालांकि बाजार की यह जबरदस्त तेजी निवेशकों के लिए खुशी का मौका लेकर आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वैल्यूएशन अब महंगा हो चला है। कई कंपनियों के शेयर अपने P/E रेशियो के हिसाब से ओवरवैल्यूड हो चुके हैं। ऐसे में नई एंट्री करने वाले निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।

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