ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने लागत और मुनाफे के संतुलन को ध्यान में रखते हुए फिलहाल कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और कंपनियां फिलहाल मूल्य स्थिरता बनाए रखने की नीति पर काम कर रही हैं, ताकि आम जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
Petrol-Diesel Price: भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर आम जनता की निगाहें हर दिन सुबह तेल कंपनियों की वेबसाइट पर टिकी होती हैं। खासकर जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती या गिरती हैं, तो लोगों को उम्मीद रहती है कि घरेलू स्तर पर भी कुछ असर दिखेगा। लेकिन 10 जून 2025 को भी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने पेट्रोल और डीजल के दामों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है।
देश की प्रमुख तेल कंपनियों ने सुबह 6 बजे के बाद अपने पोर्टल पर ताज़ा रेट अपडेट कर दिए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल के रेट में स्थिरता बरकरार है और आज भी देश भर में कीमतें लगभग वैसी ही बनी हुई हैं जैसी पिछले कई हफ्तों से चल रही हैं।
महानगरों में पेट्रोल और डीजल के ताज़ा रेट (10 जून 2025)
शहर पेट्रोल (₹/लीटर) डीजल (₹/लीटर)
दिल्ली ₹94.72 ₹87.62
मुंबई ₹103.44 ₹89.97
कोलकाता ₹103.94 ₹90.76
चेन्नई ₹100.85 ₹92.44
बेंगलुरु ₹102.86 ₹89.02
लखनऊ ₹94.65 ₹87.76
नोएडा ₹94.87 ₹88.01
गुरुग्राम ₹95.19 ₹88.05
चंडीगढ़ ₹94.24 ₹82.40
पटना ₹105.18 ₹92.04
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अंतर है, जो कि राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले वैट, परिवहन लागत और अन्य स्थानीय शुल्कों की वजह से होता है।
पिछली बार कब घटे थे दाम?
भारत सरकार ने पिछली बार 15 मार्च 2024 को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संशोधन किया था। उस समय दोनों ईंधनों की कीमतों में ₹2 प्रति लीटर की कटौती की गई थी। यह फैसला आम चुनावों से ठीक पहले लिया गया था, जिसे आम जनता के लिए एक राहत भरे कदम के रूप में देखा गया। इस मूल्य कटौती का उद्देश्य महंगाई से जूझ रही जनता को कुछ राहत देना था, साथ ही यह निर्णय राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम माना गया, क्योंकि चुनावी माहौल में ईंधन की कीमतें अक्सर एक संवेदनशील मुद्दा बन जाती हैं।
हालांकि इसके बाद से अब तक कीमतों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं देखा गया है। इसका मतलब यह भी है कि भारत में पेट्रोल-डीजल के रेट अब राजनीतिक और वैश्विक परिस्थितियों के बीच संतुलन बनाकर रखे जा रहे हैं।
क्यों नहीं बदलते रोज़ दाम?
जून 2017 में भारत सरकार ने डेली प्राइस रिवीजन (Dynamic Fuel Pricing System) लागू किया था, जिसके तहत हर दिन सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल के दाम अपडेट होते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां रोज़ाना की जगह हफ्तों और महीनों में एक बार ही दरों में बदलाव कर रही हैं। इसकी बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि केंद्र सरकार और कंपनियां तेल की कीमतों को स्थिर बनाए रखना चाहती हैं ताकि महंगाई पर नियंत्रण बना रहे।
तेल की कीमतों को कौन तय करता है?
भारत में पेट्रोल और डीजल के रेट तय करने की जिम्मेदारी प्रमुख ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर होती है, जैसे:
- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC)
- भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL)
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL)
ये कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों, डॉलर-रुपये के विनिमय दर, रिफाइनिंग लागत, डीलर मार्जिन और टैक्स के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं।
कीमतों पर असर डालने वाले मुख्य कारक
- कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें
- रुपया-डॉलर एक्सचेंज रेट
- रिफाइनिंग और ट्रांसपोर्ट लागत
- सरकारी टैक्स (एक्साइज ड्यूटी, वैट)
- डीलर का कमीशन
घर बैठे ऐसे करें चेक अपने शहर का रेट
अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके शहर में आज पेट्रोल या डीजल की कीमत क्या है, तो इसके लिए घर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं। तेल कंपनियों ने उपभोक्ताओं के लिए SMS और वेबसाइट के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई है:
- इंडियन ऑयल ग्राहक: मोबाइल में RSP लिखें, स्पेस दें और अपने शहर का कोड डालकर भेजें: 9224992249 पर।
- BPCL ग्राहक: RSP टाइप करें और भेजें: 9223112222 पर।
- इसके अलावा, IOC, BPCL और HPCL की आधिकारिक वेबसाइट पर भी पेट्रोल और डीजल के ताज़ा दाम चेक किए जा सकते हैं।
GST के दायरे में कब आएगा पेट्रोल-डीजल?
काफी समय से यह बहस जारी है कि पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाया जाए या नहीं। यदि ऐसा होता है, तो पूरे देश में इन ईंधनों की कीमतें एक समान हो सकती हैं और उपभोक्ताओं को टैक्स के बोझ से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, अब तक इस दिशा में कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है, क्योंकि राज्य सरकारें इस प्रस्ताव को लेकर आशंकित हैं।
उनका मानना है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए जाने वाले वैट से उन्हें बड़ा राजस्व प्राप्त होता है, और अगर यह जीएसटी के अंतर्गत आ गया, तो उनकी आय में भारी कमी आ सकती है।