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मेनिनजाइटिस: दिमागी बुखार नहीं, जानलेवा खतरा – जानें लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

मेनिनजाइटिस: दिमागी बुखार नहीं, जानलेवा खतरा – जानें लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

आज की व्यस्त और अस्वस्थ जीवनशैली के बीच कुछ बीमारियाँ ऐसी हैं जो बिना किसी पूर्व चेतावनी के जानलेवा रूप ले सकती हैं। ऐसी ही एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है मेनिनजाइटिस (Meningitis), जिसे आम भाषा में दिमागी बुखार भी कहा जाता है। यह बीमारी अचानक तीव्रता से असर करती है और यदि समय रहते इलाज न मिले तो जान भी जा सकती है।

मेनिनजाइटिस से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके लक्षण आम बुखार जैसे होते हैं, लेकिन इसके परिणाम कहीं ज्यादा घातक होते हैं। इसलिए इसके बारे में जानकारी रखना और सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी है।

क्या होती है मेनिनजाइटिस?

मेनिनजाइटिस एक स्नायु तंत्र से जुड़ी बीमारी है जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्लियों (Meninges) में सूजन आ जाती है। यह सूजन बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवी के संक्रमण के कारण हो सकती है। जब यह सूजन गंभीर स्तर पर पहुंचती है तो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बाधित हो सकती है, जिससे याददाश्त कमजोर हो सकती है, सुनने की शक्ति घट सकती है और कभी-कभी मृत्यु तक हो सकती है।

मेनिनजाइटिस कितने प्रकार की होती है?

  1. बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस: सबसे खतरनाक प्रकार, जो बिना इलाज के जानलेवा हो सकती है।
  2. वायरल मेनिनजाइटिस: तुलनात्मक रूप से कम खतरनाक, लेकिन लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
  3. फंगल मेनिनजाइटिस: दुर्लभ, लेकिन कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अधिक प्रभावित करता है।
  4. परजीवी मेनिनजाइटिस: अमीबा जैसे परजीवी से फैलती है।
  5. क्रॉनिक मेनिनजाइटिस: यह महीनों तक चल सकती है और इसके लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं।
  6. प्राइमरी अमीबिक मेनिनजाइटिस (PAM): अत्यंत दुर्लभ लेकिन जानलेवा।

कैसे फैलती है यह बीमारी?

  • दूषित पानी या भोजन के सेवन से
  • खांसने या छींकने से निकलने वाली बूंदों से
  • संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में आने से
  • कान, नाक या गले के संक्रमण के ज़रिये बैक्टीरिया मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं
  • कमजोर इम्यूनिटी (खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों में)

मेनिनजाइटिस के प्रमुख लक्षण

लक्षण शुरुआत में आम बुखार जैसे ही लगते हैं, लेकिन उनका तेजी से बढ़ना इस बीमारी की पहचान बनता है।

  • तेज बुखार और ठंड लगना
  • गर्दन का अकड़ जाना
  • सिरदर्द जो दवाओं से भी ठीक न हो
  • उल्टी या मतली
  • रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • अत्यधिक नींद आना या बेहोशी जैसी स्थिति
  • भूख में कमी
  • शरीर पर लाल-नीले रैशेज (बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस में)
  • बच्चों में लगातार रोना, गर्दन या सिर को झुकाकर रखना

किन लोगों को है ज़्यादा खतरा?

  • पांच साल से कम उम्र के बच्चे, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है
  • बुजुर्ग, जिनकी इम्युनिटी उम्र के साथ घट चुकी होती है
  • कैंसर, एचआईवी या अंग प्रत्यारोपण करवाने वाले मरीज
  • भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग
  • जो व्यक्ति अस्वच्छ वातावरण में रह रहे हैं

मेनिनजाइटिस से कैसे करें बचाव?

1. टीकाकरण: मेनिनजाइटिस से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका है वैक्सीनेशन। बच्चों को HIB, मेनिंगोकोकल और न्यूमोकोकल टीके समय पर लगवाना ज़रूरी है।

2. साफ-सफाई बनाए रखें: अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोएं, खासकर खाने से पहले और शौच के बाद।

3. संपर्क से बचें: अगर किसी को दिमागी बुखार के लक्षण हैं तो उसके निकट संपर्क से बचें और डॉक्टर की सलाह लें।

4. मुंह-नाक को ढकें: खांसते या छींकते समय रूमाल या टिशू से मुंह और नाक को ढकें, ताकि वायरस का प्रसार न हो।

5. दूषित भोजन से बचाव: बाहर का अनहाइजीनिक खाना या अधपका भोजन न खाएं। साफ पानी का ही सेवन करें।

कब जाएं डॉक्टर के पास?

यदि आपको या आपके बच्चे को तेज बुखार के साथ गर्दन अकड़ने, सिरदर्द, उल्टी या बेहोशी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह जानलेवा बीमारी है और इलाज में देर भारी पड़ सकती है।

मेनिनजाइटिस एक घातक लेकिन रोकथाम योग्य बीमारी है। जागरूकता, साफ-सफाई और समय पर टीकाकरण से इसे रोका जा सकता है। अगर समय रहते लक्षणों को पहचाना जाए और उचित इलाज शुरू कर दिया जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है और गंभीर जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।

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