7 जून 1975… यही वह दिन था जब क्रिकेट की दुनिया में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। इंग्लैंड की धरती पर पहला वनडे वर्ल्ड कप खेला गया, जिसमें आठ देशों ने भाग लिया।
स्पोर्ट्स न्यूज़: 7 जून 1975... यह तारीख क्रिकेट के इतिहास में एक सुनहरे अध्याय की शुरुआत के तौर पर दर्ज है। इसी दिन इंग्लैंड की धरती पर क्रिकेट का पहला वनडे वर्ल्ड कप (ODI World Cup) शुरू हुआ था। दुनिया भर की आठ टीमों ने इस महाकुंभ में हिस्सा लिया, जिसमें भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर उद्घाटन मैच खेला गया। यह मैच क्रिकेट के रोमांच के साथ-साथ कुछ यादगार और कुछ विवादित पलों के लिए भी जाना गया।
60 ओवर का खेल, सफेद ड्रेस और दिन के मैच
इस वर्ल्ड कप की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि सभी मैच 60-60 ओवर के थे और खिलाड़ी सफेद कपड़ों में मैदान पर उतरते थे। रंगीन जर्सी, फील्डिंग रेस्ट्रिक्शन और T20 जैसे फॉर्मेट्स का कोई नामोनिशान नहीं था। मैच केवल दिन के समय खेले जाते थे और पिच भी पूरी तरह इंग्लैंड की पारंपरिक प्रकृति की होती थी।
टूर्नामेंट में भाग लेने वाली टीमें थीं – भारत, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ईस्ट अफ्रीका, वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंका। इन्हें दो ग्रुपों में बांटा गया था।
ग्रुप ए में भारत, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ईस्ट अफ्रीका थे।
ग्रुप बी में वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंका।
भारत vs इंग्लैंड: इतिहास का पहला वर्ल्ड कप मुकाबला
लॉर्ड्स में खेले गए पहले मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। कप्तान माइक डेन्सी की अगुवाई में इंग्लैंड ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की और 60 ओवरों में सिर्फ चार विकेट खोकर 334 रन ठोक दिए। उस समय के हिसाब से यह स्कोर बेहद बड़ा माना जाता था। इस ऐतिहासिक मैच में इंग्लैंड के ओपनर डेनिस एमिस ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 137 रनों की पारी खेली और वनडे वर्ल्ड कप का पहला शतक अपने नाम किया। उनके अलावा कीथ फ्लेचर और क्रिस ओल्ड ने भी तेज तर्रार रन जोड़े, जिससे स्कोर 300 के पार पहुंचा।
गावस्कर की धीमी पारी बनी विवाद
जब भारत लक्ष्य का पीछा करने उतरा तो उम्मीद थी कि भारतीय बल्लेबाज आक्रामक खेल दिखाएंगे। लेकिन भारतीय टीम ने 60 ओवर में मात्र 3 विकेट पर 132 रन ही बनाए और मुकाबला 202 रन से हार गई। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह रही कि टीम के स्टार बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने पूरे 60 ओवर बल्लेबाजी की, 174 गेंदें खेलीं और मात्र 36 रन बनाए।
उन्होंने सिर्फ एक चौका लगाया और कोई छक्का नहीं मारा। उनकी इस रक्षात्मक पारी की काफी आलोचना हुई। ऐसा कहा गया कि गावस्कर ने जानबूझकर धीमी बल्लेबाजी की क्योंकि वे वनडे फॉर्मेट को सही नहीं मानते थे। गावस्कर ने सालों बाद खुद यह स्वीकार किया था कि यह उनकी जिंदगी की सबसे खराब पारियों में से एक थी और अगर वे चाहते तो खुद को रिटायर हर्ट भी कर सकते थे।
डेनिस एमिस बने इतिहास के पहले शतकवीर
इंग्लैंड की पारी के हीरो रहे डेनिस एमिस, जिन्होंने शानदार 137 रनों की पारी खेलकर वनडे वर्ल्ड कप का पहला शतक जमाया। उनके इस योगदान ने इंग्लैंड को मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया। एमिस के साथ कीथ फ्लेचर और क्रिस ओल्ड ने भी उपयोगी योगदान दिया। भारतीय टीम की कमान उस समय ऑफ स्पिनर श्रीनिवास वेंकटराघवन के हाथ में थी।
भारत को इस वर्ल्ड कप में सिर्फ एक ही जीत नसीब हुई — ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ। इस मुकाबले में भारत ने 10 विकेट से जीत हासिल की थी और गावस्कर ने ही 65 रन (86 गेंदों में, 9 चौके)* बनाए थे।