RBI ने सरकार को 2.70 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड डिविडेंड देने का ऐलान किया है। यह पैसा देश की आर्थिक चुनौतियों, टैरिफ विवाद और रक्षा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
RBI : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को रिकॉर्ड डिविडेंड देने का ऐलान किया है। RBI 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड केंद्र सरकार को देगा, जो पिछले वर्ष 2023-24 के मुकाबले करीब 27.4 प्रतिशत ज्यादा है। यह राशि अब तक का सबसे बड़ा डिविडेंड है, जो सरकार के खजाने को मजबूती देगा और देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा। आइए समझते हैं इस फैसले के मायने और इसका असर।
RBI ने सरकार को क्यों दिया इतना बड़ा डिविडेंड?
RBI का यह डिविडेंड सरकार के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आया है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में RBI ने सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था। इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 में यह राशि 87,416 करोड़ रुपये थी। इस तरह से RBI का डिविडेंड लगातार बढ़ रहा है, जो देश की आर्थिक प्रगति और रिजर्व बैंक की कमाई का संकेत है।
RBI की कमाई का स्रोत क्या है?
RBI के पास इतना पैसा कहां से आता है? इसके कई स्रोत हैं। सबसे बड़ा हिस्सा RBI की विदेशी मुद्रा संपत्तियों (Foreign Currency Assets) से आता है। RBI अपनी बैलेंस शीट में करीब 70 फीसदी विदेशी मुद्रा संपत्तियों को रखता है, जो विदेशी मुद्रा के निवेश से अच्छी कमाई करता है। इसके अलावा RBI सरकारी बॉन्डों (Government Bonds) पर ब्याज कमाता है, जो उसकी आय का 20 प्रतिशत हिस्सा होता है।
RBI डॉलर रिजर्व में रखता है और जब डॉलर की कीमत बढ़ती है, तो उसे बेचकर अच्छा रिटर्न मिलता है। साथ ही, RBI विभिन्न कमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है, जिनसे ब्याज के रूप में आय प्राप्त होती है। फॉरेन एसेट्स का रीवैल्यूएशन (Revaluation) यानी विदेशी संपत्तियों और सोने का पुनर्मूल्यांकन भी RBI की आय को बढ़ाता है। सोने को उच्च कीमत पर बेचकर RBI को भारी लाभ होता है।
सरकार इस रिकॉर्ड डिविडेंड का इस्तेमाल कैसे करेगी?
इस डिविडेंड के रूप में सरकार के पास बड़ी रकम आने से उसे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विकास के कामों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। खासकर, अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ (Tariff) और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव (Defense Challenges) के बीच यह पैसा रक्षा खर्चों को बढ़ाने और चुनौतियों का सामना करने में उपयोगी साबित होगा।
सरकार इस राशि से अपने कर्ज (Debt) को कम कर सकती है, जिससे आर्थिक दबाव कम होगा। इसके साथ ही, यह खजाना कंजम्पशन (Consumption) को बढ़ावा देगा और EMIs (ईएमआई) में भी कमी आएगी, जो आम जनता के लिए राहत का कारण बनेगा। इससे शेयर मार्केट (Share Market) को भी फायदा होगा और बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी (Liquidity) बढ़ेगी।
RBI का आकस्मिक जोखिम बफर बढ़ाया गया
RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने आकस्मिक जोखिम बफर (Contingency Risk Buffer - CRB) को भी बढ़ाकर 7.50 प्रतिशत कर दिया है। यह बफर केंद्रीय बोर्ड की 15 मई, 2025 को हुई बैठक में तय किया गया। इस बफर का मतलब है कि RBI के पास भविष्य में किसी आर्थिक संकट से निपटने के लिए पर्याप्त पैसे सुरक्षित रहेंगे। इससे बैंकिंग सिस्टम में स्थिरता बनी रहेगी।
RBI के इस फैसले का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
RBI का यह रिकॉर्ड डिविडेंड सरकार को आर्थिक मोर्चे पर सशक्त बनाएगा। अमेरिका से चल रहे टैरिफ विवादों और पड़ोसी पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच यह पैसा सरकार के लिए एक बड़ी ताकत साबित होगा। रक्षा खर्च बढ़ाने, विदेशी व्यापार संतुलित करने और आर्थिक सुधारों में निवेश के लिए जरूरी फंड मिलेगा।
इसके अलावा, सरकार के पास ज्यादा संसाधन होने से विकास परियोजनाएं तेज होंगी, बेरोजगारी कम होगी और आर्थिक वृद्धि दर बेहतर होगी। बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी बढ़ने से ब्याज दरों में सुधार आ सकता है, जिससे कर्ज लेना सस्ता होगा। यह सब मिलकर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाएगा।
RBI का डिविडेंड कैसे तय होता है?
प्रत्येक वित्त वर्ष के अंत में RBI अपनी आय और खर्च का हिसाब करता है। इसके बाद जो शुद्ध लाभ बचता है, उसे "सरप्लस" कहा जाता है। इस सरप्लस में से एक हिस्सा सरकार को डिविडेंड के रूप में दिया जाता है। डिविडेंड की राशि RBI के आर्थिक पूंजी ढांचे (Economic Capital Framework - ECF) के आधार पर तय होती है।
आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल और वित्त मंत्रालय इस राशि को मंजूरी देते हैं। यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और नियमों के तहत होती है, जिससे सरकार और RBI दोनों के हित सुरक्षित रहते हैं।
RBI के डिविडेंड से आम जनता को क्या फायदा होगा?
RBI का रिकॉर्ड डिविडेंड सीधे तौर पर आम जनता की जेब पर भी असर डालेगा। सरकार के पास ज्यादा पैसा होने से वह सामाजिक योजनाओं और विकास परियोजनाओं में निवेश कर सकेगी। इससे रोजगार के नए अवसर बनेंगे और लोगों की आमदनी बढ़ेगी।
साथ ही, कर्ज की दरों में कमी आने से घर खरीदना, गाड़ी लेना या अन्य बड़े खर्चों के लिए कर्ज लेना आसान होगा। बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी बढ़ने से ब्याज दरों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।