Pune

साइबर फ्रॉड पर सरकार की नज़र, डीपफेक पर कड़ी चेतावनी

साइबर फ्रॉड पर सरकार की नज़र, डीपफेक पर कड़ी चेतावनी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीपफेक तकनीक को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक अब एक बड़ा खतरा बनती जा रही है, जो बड़े पैमाने पर जनता को भ्रमित करने और आर्थिक व सामाजिक नुकसान पहुंचाने का माध्यम बन रही है। 

भारत की तेजी से डिजिटल होती अर्थव्यवस्था के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने फिनटेक कंपनियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि डिजिटल धोखाधड़ी, विशेष रूप से डिजिटल अरेस्ट और डीपफेक तकनीक के बढ़ते खतरे को नियंत्रित करने के लिए इनोवेटिव समाधान खोजे जाएं। यह आह्वान ऐसे समय में आया है जब देश में साइबर अपराधों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और जनता की डिजिटल सुरक्षा को चुनौती मिल रही है।

डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड की बढ़ती चुनौती

देश में स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुंच बढ़ने के साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी भी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। आम नागरिकों से लेकर कारोबारी वर्ग तक, हर कोई डिजिटल ठगी का शिकार हो सकता है। हाल के वर्षों में 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी घटनाओं में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जहां साइबर अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को धमकाते हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते हैं।

वित्त मंत्री ने चिंता जताई कि ऑपरेटर रातों-रात आम लोगों का पैसा उड़ा ले जाते हैं और लोगों को लगता है जैसे उन्हें डिजिटल माध्यम से गिरफ्तार कर लिया गया हो। उन्होंने फिनटेक कंपनियों से कहा कि वे इस समस्या का तकनीकी और व्यवहारिक समाधान खोजें, ताकि नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

डीपफेक तकनीक: एक नया साइबर खतरा

डीपफेक तकनीक के ज़रिये आज आवाज और चेहरों की नकल कर वास्तविकता का भ्रम पैदा किया जा सकता है। ऐसे वीडियो जिनमें कोई नेता, अधिकारी या सेलिब्रिटी झूठे बयानों के साथ दिखते हैं, आम जनता को भ्रमित कर सकते हैं। यह तकनीक राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी भारी नुकसान पहुँचा सकती है।

सीतारमण ने इसे एक उभरता हुआ 'अत्यंत खतरनाक' उपकरण बताया और कहा कि इससे निपटने के लिए एक सामूहिक रणनीति की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि फिनटेक कंपनियों को इस तरह के साइबर खतरे से निपटने के लिए मिलकर समाधान तैयार करने चाहिए, जो तकनीकी दृष्टि से सक्षम और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य हों।

वित्तीय समावेशन में फिनटेक की भूमिका

वित्त मंत्री ने यह भी माना कि देश में फिनटेक कंपनियों ने वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में जहां परंपरागत बैंकिंग मुश्किल होती थी, वहां डिजिटल पेमेंट सिस्टम और माइक्रो-लोन मॉडल्स ने एक नई आर्थिक ऊर्जा पैदा की है।

उन्होंने कहा कि डिजिटल लोन सुविधाएं अब छोटे और मझोले व्यवसायों तक पहुंच रही हैं, जिससे उन्हें त्वरित और पारदर्शी फाइनेंस की सुविधा मिल रही है। वित्त मंत्री ने इस मॉडल को और अधिक विस्तार देने पर जोर दिया, जिससे MSME सेक्टर को मजबूती मिले।

ग्लोबल स्तर पर फिनटेक की संभावनाएं

सीतारमण ने कहा कि भारतीय फिनटेक इनोवेशन में वैश्विक सार्वजनिक वस्तु बनने की पूरी क्षमता है। इसके ज़रिये भारत न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत कर सकता है, बल्कि उभरते और विकसित देशों को भी अपनी तकनीकी सहायता उपलब्ध करा सकता है।

वर्तमान में यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के ज़रिये सात देशों में व्यापारी भुगतान की सुविधा उपलब्ध है, जिनमें भूटान, फ्रांस, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और यूएई शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस सूची में और देशों को जोड़ने का लक्ष्य रखा जाना चाहिए ताकि भारतीय तकनीक वैश्विक स्तर पर एक ब्रांड बन सके।

भविष्य की दिशा: 400 अरब डॉलर का संभावित बाजार

वित्त मंत्री ने यह जानकारी भी दी कि भारतीय फिनटेक बाजार के 2028-29 तक 400 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि यह कोई दूर का सपना नहीं है बल्कि सिर्फ तीन साल की बात है। अनुमानित 30 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ दर को देखते हुए, फिनटेक सेक्टर के लिए यह एक सुनहरा मौका है।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2014 से अब तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिये 44 लाख करोड़ रुपये जनता तक पहुंचाए जा चुके हैं, जिससे 3.48 लाख करोड़ रुपये की सरकारी बचत हुई है। यह आंकड़ा यह बताता है कि डिजिटल पारदर्शिता और दक्षता से सरकार और जनता दोनों को लाभ मिला है।

Leave a comment