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Snake Bite: सात बार एक ही सांप के काटने की बात को ठहराया अंधविश्वास, सांप की मेमोरी क्षमता को लेकर क्या कहतें हैं एक्सपर्ट?

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के विकास दुबे ने एक ही सांप के द्वारा सात बारे काटे जाने का दावा किया है। जिसके बाद सोशल मीडिया पर सांप को लेकर चर्चा छिड़ गई। ऐसे में सवाल ये है कि क्या सांप की मेमोरी इतनी होती है कि वह एक ही इंसान को बार-बार काट सके? आइए जानते हैं क्या कहतें हैं एक्सपर्ट?

UP News: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से सांप काटने के एक मामले ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया हुआ है। बता दें कि फतेहपुर के विकास दुबे ने दावा किया है कि उसे 45 दिन के भीतर एक ही सांप ने सात बार काटा हैं। फ़िलहाल उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनके इस दावे पर कई  सवाल उठने लगे कि क्या यह संभव है कि किसी इंसान को एक सांप बार-बार काट सकता है?

कौन है विकास दुबे?

आपको बता दें कि सांप के काटने से पीड़ित 24 वर्षीय विकास दुबे फतेहपुर जिले के मलवा थाना क्षेत्र स्थित सौरा गांव का रहने वाला है। विकास का कहना है कि उसे 45 दिनों के भीतर एक ही सांप ने सात बार काटा है। बताया कि उसे हर बार खतरे होने का पहले ही आभास हो जाता है।

इसी दौरान जब आभास हुआ तो वह बचने के लिए मौसी और चाचा के घर भागकर गया लेकिन सांप ने वहां भी उसे अपना शिकार बना लिया था। हालत बिगड़ने पर उसे हर बार शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाता था, जहां इलाज के बाद उसे घर भेज दिया गया।

विकास के दावे पर एक्सपर्ट ने कहा

मिली जानकारी के अनुसार जिस अस्पताल में विकास दुबे को भर्ती कराया था, वह अस्पताल राधानगर में स्थित है। वहीं, भोपाल के रहने वाले सांपों के एक्सपर्ट मोहम्मद सलीम ने इस दावे पर बताया कि किसी भी सांप ने आज तक ये काम नहीं किया कि वो किसी को काटने के लिए 12-14 किलोमीटर लंबी यात्रा करे। सांप की यादाश्त इतनी नहीं होती। उसकी मेमोरी बेहद परिस्थितिजन्य होती है, यानी सिचुएशनल होती है। सांप को काटने के बाद किसी को याद नहीं रखता। बता दें कि यही बात जिम कॉर्बेट के स्नेक एक्सपर्ट चंद्रसेन ने भी कही है। उन्होंने भी उस युवक की बात पर मेमोरी की बात खारिज की है।

सांप काटने पर डंक के निशान

विकास की जांच रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि विकास के बाएं हाथ और पैर में सांप के काटने के निशान हैं। दोनों में दो डंक के निशान पड़े हुए हैं। उनके चारों तरफ नीला घेरा बना हुआ है। यानी इस बार उसे किसी जहरीले सांप ने डसा है। अगर बिना जहरीले सांप ने काटा होता तो दांतों के अर्ध-अंडाकार जैसा गहरा निशान बनता। लेकिन जहरीले सांप ने काटा होता, तो ये 2 किलोमीटर भी नहीं जा पाते, जबकि विकास के घर से अस्पताल की दूरी 12-14 किमी बताई गई है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

बता दें कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के स्नेक एक्सपर्ट 'चंद्रसेन' ने बताया कि सांपों के रेस्क्यू मिशन में लगे इंसान को सांप कई बार काट सकता है। लेकिन ये कहना गलत होगा कि एक ही सांप किसी इंसान को बार-बार काट सकता है। यानि एक ही इंसान का पीछा करके काटे। विकास जिस इलाके में रहता है, वो हरा-भरा है। यानी वहां छोटे-मोटे जीव मौजूद होंगे। जिसकी वजह से वहां बिना जहरीले और जहरीले सांप भी होंगे।

जहरीले और गैर-जहरीले सांप

बता दें कि मैदानी और पहाड़ी जैसे इलाकों में सामान्य तौर पर गैर-जहरीले सांप मिलते हैं, जिनके काटने की अक्सर सूचना मिलती है, उनमें चेकर्ड कीलबैक, कॉमन ट्रिंकेट स्नेक, बफ स्ट्रिप्ड कीलबेक, ब्रोंज बेक ट्री स्नेक, कॉमन ट्रिंकेट स्नेक,  पाइथन, अजगर, रेड स्नेक,कॉपर हेडट ट्रिंकेट स्नेक, धामन‌, घोड़ा पछाड आदि शामिल हैं। इन सांपो के काटने पर इंसान के निशान बनता है और वह कुछ देर के लिए बेहोश या नशे में हो सकता है लेकिन इससे उसकी मृत्यु नहीं होती है। अगर विकास को कोबरा, करैत, रसल वाइपर जैसे जहरीले साँपों ने कटा होता तो उसका इलाज संभव ही नहीं था। क्योंकि उनके काटने पर वो इतनी दूर ट्रैवल करके अस्पताल पहुंच ही नहीं पाएंगे।

एक्सपर्ट मो. सलीम ने बताया अंधविश्वास

बताया जा रहा है कि भोपाल में सांपों को बचाने का काम करने वाले मोहम्मद सलीम का कहना है कि विकास दुबे नाम के लड़के ने जो दवा किया है वह सब उनका अंधविश्वास है। बता दें कि साधारण सांपों के काटने पर एंटी-वेनम नहीं दिया जाता। क्योंकि, इससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। एंटी-वेनम सिर्फ जहरीले सांपों के काटने पर ही इस्तेमाल किया जाता है।

इससे पहले तो यह जानना जरूरी है कि विकास को किस सांप ने काटा है और यह सारी जानकारी उसका इलाज कर रहे डॉक्टर ही दे सकते हैं। आगे कहा कि उसे सात बार एक ही सांप के कटा है उसकी यह बात अंधविश्वास है।

क्योंकि साधारण सांप के काटने से थोड़ा नशा हो सकता है। लेकिन कोबरा काटेगा तो कोई भी इंसान अस्पताल नहीं पहुंच सकता। अगर डॉक्टरों द्वारा पहली बार एंटी वेनम से बचा भी लिया, तो दूसरी बार में एंटी वेनम का असर कम हो जाता है और तीसरी बार में तो उस इंसान के बचने की चांस ही नहीं रहते है। 

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