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संतोषी माता व्रत: शुक्रवार व्रत की पूजा विधि और पाएं जीवन में सुख-शांति व समृद्धि

हर शुक्रवार को मनाया जाने वाला संतोषी माता का व्रत हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह व्रत खासतौर पर महिलाओं के बीच लोकप्रिय है, जो अपने घर-परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और संतान की खुशहाली के लिए इसे करती हैं। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से संतोषी माता की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

संतोषी माता व्रत का महत्व 

संतोषी माता का नाम ही हमें बताता है कि वे संतोष यानी संतुष्टि देने वाली देवी हैं। वह अपने भक्तों से कोई बड़ी चीज़ नहीं मांगतीं, सिर्फ सच्चे मन से पूजा और श्रद्धा चाहती हैं। जो भी महिला या पुरुष यह व्रत करता है, उसके जीवन की परेशानियां धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। माता के व्रत से घर में शांति आती है और परिवार के बीच प्यार बना रहता है।

संतोषी माता की कृपा से जीवन में सुख-शांति, धन और संतोष मिलता है। माना जाता है कि अगर कोई लगातार 16 शुक्रवार तक यह व्रत करता है और सच्चे मन से माता की पूजा करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो परिवार में कलह, आर्थिक तंगी या मानसिक तनाव से परेशान हैं। माता का आशीर्वाद मिलने पर जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगता है।

संतोषी माता व्रत कब करें?

संतोषी माता का व्रत हर शुक्रवार को किया जाता है। यह दिन माता को समर्पित होता है और इस दिन व्रत करने से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं। खास मान्यता है कि अगर कोई भक्त लगातार 16 शुक्रवार तक नियमपूर्वक व्रत करता है, तो उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। लेकिन अगर कोई किसी विशेष कामना को लेकर व्रत कर रहा है, तो वह मनोकामना पूरी होने तक भी यह व्रत कर सकता है।

इस व्रत को किसी भी महीने के किसी भी शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है, लेकिन शुभ मुहूर्त देखकर शुरुआत करना बेहतर होता है। व्रत के दिन सुबह स्नान करके माता की पूजा करें और दिनभर फलाहार या बिना नमक का भोजन करें। इस व्रत में खट्टे पदार्थ खाने और छूने की मनाही होती है, इसलिए इस नियम का विशेष ध्यान रखें।

संतोषी माता व्रत और पूजा विधि 

संतोषी माता का व्रत हर शुक्रवार को किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, लेकिन पुरुष भी इसे कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक संतोषी माता का व्रत करता है, उसके जीवन से दुख, गरीबी और तनाव दूर हो जाते हैं। माता संतोषी अपने भक्तों को संतान सुख, सुख-शांति और धन की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।

सुबह स्नान और तैयारी: शुक्रवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। महिलाएं पीले या लाल रंग की साड़ी पहन सकती हैं। पूजा का स्थान साफ करें और वहां गंगाजल छिड़कें ताकि वातावरण शुद्ध हो जाए।

चौकी पर माता की तस्वीर रखें: एक लकड़ी की चौकी लें और उस पर लाल या पीले कपड़े को अच्छे से बिछाएं। अब उस पर संतोषी माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। माता को हल्दी और कुमकुम से तिलक करें। पास में एक जल से भरा कलश भी रखें।

पूजा सामग्री जुटाएं: पूजा में गुड़, भुने चने, फूल, रोली, मौली, बताशे, नारियल, दीपक, अगरबत्ती, पंचामृत, और घी की जरूरत होती है। ध्यान रखें कि पूजा और प्रसाद में खट्टी चीज़ों का बिल्कुल उपयोग न करें। माता को खट्टी चीजें पसंद नहीं हैं।

संतोषी माता की कथा सुनें: पूजा करते समय संतोषी माता की व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। इस कथा में बताया गया है कि कैसे माता ने एक गरीब लड़की की श्रद्धा से प्रसन्न होकर उसका जीवन बदल दिया। कथा से भक्तों को प्रेरणा मिलती है और पूजा सफल मानी जाती है।

भोग अर्पित करें: कथा के बाद माता को गुड़ और चने का भोग अर्पित करें। यह प्रसाद माता को अत्यंत प्रिय है। साथ ही एक नारियल भी अर्पण करें। फिर घी का दीपक जलाकर माता की आरती करें और ‘जय संतोषी माता’ बोलते हुए प्रार्थना करें।

प्रसाद वितरित करें: पूजा समाप्त होने के बाद गुड़ और चने का प्रसाद घर के सभी सदस्यों में बांटें। ध्यान रखें कि व्रती खुद भी प्रसाद ले। इस दिन व्रती को खट्टा बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।

व्रत कैसे रखें? 

संतोषी माता का व्रत रखना बहुत सरल और प्रभावशाली होता है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को हर शुक्रवार सुबह केवल एक बार भोजन करना चाहिए। इस भोजन में खट्टे पदार्थ जैसे नींबू, दही, इमली आदि बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये चीजें व्रत के नियमों के खिलाफ मानी जाती हैं। व्रत के दौरान पूरे दिन माता का ध्यान लगाएं और उनकी कथा पढ़ें या सुनें ताकि मन शांत और एकाग्र रहे।

इस व्रत को लगातार 16 शुक्रवार तक पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ निभाना चाहिए। 16वें शुक्रवार के बाद व्रत का समापन यानी उद्यापन करना जरूरी होता है। उद्यापन के समय पूजा के बाद कम से कम 8 लड़कों को गुड़-चना का भोजन करवाना चाहिए, साथ ही अपनी क्षमता के अनुसार दान भी देना चाहिए। ऐसा करने से माता की प्रसन्नता मिलती है और व्रत के फलस्वरूप सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। इस प्रकार, संतोषी माता व्रत न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आते हैं।

 संतोषी माता के मंत्र 

'ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।।'

संतोषी माता की आरती 

'आरती संतोषी माता की कीजै,
संकट से लाज हमारी लीजै।
जो कोई तेरी आरती गावे,
मनवांछित फल वह पावे।।

समृधि घर में आये,
दुख दरिद्र मिट जाए।
आरती संतोषी माता की कीजै,
संकट से लाज हमारी लीजै।।'

शुक्रवार को क्या दान करें?

गुड़ और चना दान करें: शुक्रवार के दिन गुड़ और चना दान करना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह संतोषी माता का प्रिय भोग है। आप इसे गरीबों या जरूरतमंदों को दे सकते हैं। इससे माता की विशेष कृपा मिलती है और आपके घर में सुख-शांति बनी रहती है।

लाल या पीला वस्त्र दान करें: लाल और पीला रंग संतोषी माता को बहुत पसंद हैं। आप किसी गरीब महिला को लाल या पीला कपड़ा दान करें। यह दान करने से आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और माता की प्रसन्नता मिलती है।

चांदी या स्टील का लोटा दान करें: जल से भरा हुआ चांदी या स्टील का लोटा मंदिर में रखना या किसी ब्राह्मण को दान करना भी बहुत फलदायक होता है। इससे आपके परिवार में शांति और समृद्धि आती है।

बेटियों को उपहार दें: बेटियों को उपहार देना भी बहुत पुण्य का काम माना जाता है। अगर संभव हो तो शुक्रवार के दिन बेटियों को कुछ उपहार दें जैसे कि खिलौने, कपड़े या मिठाइयां। इससे माता का आशीर्वाद मिलता है और घर में खुशहाली आती है।

संतोषी माता व्रत का लाभ

संतोषी माता का व्रत रखने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। जब परिवार में संतोष और प्यार होता है, तो जीवन के सारे मुश्किल हालात आसानी से सुलझ जाते हैं। इस व्रत को करने से पारिवारिक झगड़े, क्लेश और आर्थिक तंगी जैसी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। माता की कृपा से परिवार में सबका मन एकजुट रहता है और वातावरण खुशहाल बनता है।

इसके अलावा, इस व्रत से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। जो दंपति बच्चे पाने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से फलदायक माना जाता है। नौकरी, व्यापार और रिश्तों में भी संतोषी माता की कृपा से सकारात्मक बदलाव आते हैं। कामकाज में मन लगा रहता है और हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है। कुल मिलाकर, संतोषी माता व्रत जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति लाने वाला एक पवित्र साधन है।

संतोषी माता का व्रत एक बेहद सरल लेकिन प्रभावशाली व्रत है, जो मन की शांति, परिवार की समृद्धि और हर दुख को दूर करने की शक्ति रखता है। यदि आप भी जीवन में किसी परेशानी से गुजर रहे हैं, तो इस शुक्रवार से ही व्रत शुरू करें। सच्चे मन से पूजा करें, माता की कथा पढ़ें और गुड़-चना का भोग लगाएं। आप देखेंगे कि जल्द ही आपकी हर परेशानी खत्म होने लगेगी।

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