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IPO बाजार पर मंदी की मार: अमेरिकी टैरिफ से सहमा निवेश माहौल, 58 कंपनियों ने रोकी सार्वजनिक पेशकश

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ (शुल्क) और उसके कारण वैश्विक बाजारों में फैली अनिश्चितता का असर अब भारत के पूंजी बाजार पर भी दिखने लगा है। इसकी सीधी झलक देश की उन 58 कंपनियों पर पड़ी है, जिन्होंने प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने की योजना स्थगित कर दी है।

IPO: भारतीय पूंजी बाजार में शुरुआती सार्वजनिक पेशकश (IPO) की रफ्तार पर अचानक ब्रेक लग गया है। वैश्विक बाजारों में छाए अनिश्चितता के बादल और अमेरिकी टैरिफ की मार ने कंपनियों को फिलहाल आईपीओ लाने से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। नतीजतन, 58 कंपनियों ने, जिनकी पेशकश को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की मंजूरी मिल चुकी थी, अब अपने इश्यू को स्थगित कर दिया है।

इन कंपनियों में तीन बड़े नाम एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, एंथम बायोसाइंसेज और अवांस फाइनेंशियल शामिल हैं, जो कुल मिलाकर करीब 21,500 करोड़ रुपये बाजार से जुटाना चाहती थीं। अब ये सभी अनुकूल बाजार स्थितियों का इंतजार कर रही हैं।

बाजार में अस्थिरता ने बढ़ाई सतर्कता

दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स की भारतीय शाखा इस साल मई में अपना आईपीओ लाने वाली थी, लेकिन अब इसे अगस्त के बाद तक के लिए टाल दिया गया है। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी किम चांग ताए ने कहा कि हम तभी सार्वजनिक पेशकश करेंगे जब बाजार सही मूल्यांकन और स्थिरता प्रदान करे।

इसी तरह, अवांस फाइनेंशियल, जिसे अक्टूबर 2024 में मंजूरी मिली थी, और एंथम बायोसाइंसेज, जिसे अप्रैल में हरी झंडी मिली थी, दोनों ने भी अपने आईपीओ को कुछ समय के लिए होल्ड पर रखा है।

एथर एनर्जी की सुस्त शुरुआत बनी चेतावनी

इस सप्ताह एथर एनर्जी के आईपीओ की कमजोर लिस्टिंग ने बाकी कंपनियों को भी सावधान कर दिया है। कंपनी का शेयर 321 रुपये की इश्यू कीमत के मुकाबले बीएसई पर 302 रुपये पर बंद हुआ, यानी 5.76% की गिरावट। इसके पहले दिन के प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि मौजूदा माहौल में निवेशक भरोसे से दूर हैं। उल्लेखनीय है कि एथर ने अपना इश्यू आकार भी 44% तक घटा दिया था।

आईपीओ बाजार में गिरावट का ट्रेंड

डेटा प्रोवाइडर प्राइम डेटाबेस के अनुसार, 2024 में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ बाजार था, लेकिन 2025 की शुरुआत में ही इसमें 58% की गिरावट दर्ज की गई है। 2024 में जहां 91 आईपीओ के जरिए 1.60 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए थे, वहीं 2025 में अब तक केवल 11 आईपीओ आए हैं और इनसे महज 21,685 करोड़ रुपये जुटाए जा सके हैं। वर्षवार आंकड़े इस प्रकार हैं:

वर्ष    आईपीओ की संख्या    जुटाई गई राशि (₹ करोड़)
2025    11                            21,685
2024    91                           1,60,000
2023    57                            49,437
2022    40                            59,938
2021    63                           1,20,000

निवेशक भी हो गए हैं सतर्क

ऑनलाइन ऑटोमोबाइल मार्केटप्लेस ड्रूम के सीईओ संदीप अग्रवाल ने कहा कि हमने जून तक आईपीओ का ड्राफ्ट फाइल न करने का फैसला किया है। खुदरा निवेशकों का भरोसा डगमगाया है, और वे बड़े जोखिम उठाने से बच रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौजूदा वैश्विक आर्थिक तनाव, विशेषकर अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक मुद्दे जारी रहे, तो आईपीओ बाजार में और सुस्ती देखने को मिल सकती है।

सेबी की मंजूरी की वैधता सामान्यतः एक साल होती है। यदि कंपनियां इस अवधि में आईपीओ नहीं लाती हैं, तो उन्हें दोबारा आवेदन करना पड़ेगा, जिससे प्रक्रिया और लंबी हो जाएगी। इस वजह से कंपनियां अभी सोच-समझकर निर्णय ले रही हैं।

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