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India GDP: S&P ने घटाया भारत का GDP अनुमान, अब 6.3% रहने की उम्मीद

S&P ग्लोबल ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटाकर 6.3% की। अमेरिका की टैरिफ नीति और वैश्विक अनिश्चितता से भारत समेत एशियाई देशों पर नकारात्मक असर दिखने लगा है।

नई दिल्ली – वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिका की टैरिफ वॉर नीति के चलते भारत की आर्थिक विकास दर (India GDP Growth) पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया है। यह अनुमान चालू वित्त वर्ष 2025 (FY25) के लिए है, जो पहले 6.5% था। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव और संरक्षणवादी रुख का सीधा असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दिख रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है।

S&P की रिपोर्ट का मुख्य निष्कर्ष

S&P की रिपोर्ट "Global Macro Update: Shifts in US Trade Policy Will Slow World Growth" के मुताबिक, बढ़ते टैरिफ और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं दुनिया भर में ग्रोथ को धीमा कर रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई भी देश इस टैरिफ पॉलिसी से लॉन्ग टर्म में फायदा नहीं उठा सकता।

S&P ने 2025-26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ 6.3% और 2026-27 में 6.5% रहने की संभावना जताई है। इससे पहले मार्च में यह अनुमान 6.7% था, जिसे घटाकर 6.5% किया गया था। इससे स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लगातार बाहरी दबावों का सामना करना पड़ रहा है।

चीन और बाकी एशिया की हालत भी चिंताजनक

चीन की GDP ग्रोथ भी कमजोर होती दिख रही है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन की विकास दर 2025 में घटकर 3.5% और 2026 में 3% रहने की उम्मीद है। इससे पूरे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की आर्थिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

रुपया-डॉलर विनिमय दर और विदेशी प्रभाव

S&P का अनुमान है कि 2025 के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 88 तक पहुंच सकता है, जो 2024 में औसतन 86.64 था। इस गिरावट की वजह टैरिफ नीति, डॉलर की मजबूती और वैश्विक निवेशकों की सतर्कता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अभी तक यह असर केवल बाजार भावना और परिसंपत्तियों की कीमतों तक सीमित था, लेकिन अब वास्तविक व्यापारिक गतिविधियों पर असर दिखने लगा है, जैसे चीन से आयात में कमी।

अमेरिका की नीति: तीन भागों में विभाजित व्यापार रणनीति

S&P ने कहा कि अमेरिका की टैरिफ नीति को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है:

  • चीन के साथ भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण सख्त व्यापार नीति
  • यूरोपियन यूनियन के साथ जटिल संबंध
  • कनाडा के साथ संभावित सख्त वार्ताएं
  • बाकी देश टकराव की बजाय सुलह की नीति अपना सकते हैं।

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