इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद में मस्जिद कमेटी की रिवीजन याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने सर्वे आदेश को सही माना, अब मामला जिला अदालत में आगे बढ़ेगा।
UP News: संभल की जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की रिवीजन पिटीशन को खारिज कर दिया है, जिससे मस्जिद कमेटी को बड़ा झटका लगा है और अब सर्वे का रास्ता साफ हो गया है। यह मामला पिछले कई महीनों से सुर्खियों में है और इससे जुड़ी कानूनी लड़ाई भी जारी थी। इस फैसले से आगे की कार्रवाई संभल की जिला अदालत में ही होगी।
मस्जिद कमेटी की चुनौती खारिज
संभल मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद में मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सिविल कोर्ट के 19 नवंबर 2024 के सर्वे आदेश को चुनौती दी थी। मस्जिद कमेटी का तर्क था कि निचली अदालत ने मुस्लिम पक्ष को अपनी दलील रखने का मौका दिए बिना एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया, जो कि एकतरफा और गलत है। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन दाखिल की थी।
लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी की यह याचिका खारिज कर दी और सिविल कोर्ट के सर्वे आदेश को सही ठहराया। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को मान्यता नहीं दी और कहा कि अदालत ने सही प्रक्रिया का पालन किया है। इससे अब संभल के शाही मस्जिद के सर्वे का रास्ता साफ हो गया है और मामला जिला अदालत में आगे बढ़ेगा।
पिछली सुनवाई और कोर्ट की प्रतिक्रिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की बहस 13 मई 2025 को पूरी हुई थी। कोर्ट ने उस समय फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके अलावा, 8 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए सिविल कोर्ट के सर्वे आदेश पर रोक लगा रखी थी ताकि मामले की गहराई से जांच हो सके।
28 अप्रैल 2025 की सुनवाई में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को निर्देश दिया था कि वह 48 घंटे के भीतर सर्वे और रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करे। यह कदम विवादित स्थल की स्थिति और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लिया गया था।
विवाद का इतिहास और हिंसक घटना
यह विवाद पिछले साल 24 नवंबर 2024 को और अधिक गंभीर हो गया था, जब संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी। उस दिन हुई झड़प में पांच लोगों की मौत हो गई और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए। इस घटना के बाद संभल में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई और कई इलाकों में तनाव फैल गया।
हिंसा की इस घटना की जांच के लिए एसआईटी (Special Investigation Team) गठित की गई है जो मामले की गहनता से जांच कर रही है। यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी रही और कानून व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा परीक्षण साबित हुई।
हिंदू पक्ष का दावा और सिविल कोर्ट का आदेश
इस पूरे मामले की जड़ में हिंदू पक्ष का यह दावा है कि विवादित स्थल पर हरिहर मंदिर था, जिसे मस्जिद के कब्जे में लिया गया। इस दावे के आधार पर हिंदू पक्ष ने संभल सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था।
मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। इससे साफ हो गया है कि मस्जिद का सर्वे जिला अदालत के निर्देशानुसार ही होगा और उसके बाद ही आगे की कानूनी प्रक्रिया चलेगी।