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UP News: वाराणसी में बाबा शिवानंद का निधन, 128 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

बाबा शिवानंद ने पूरे जीवन योग साधना, सादा भोजन और योगी जीवनशैली अपनाई। हर चुनाव में वाराणसी जाकर वोट डालते थे। हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में संगम स्नान भी किया था।

वाराणसी | देश के सबसे उम्रदराज योग गुरु और पद्मश्री सम्मानित संत बाबा शिवानंद का शनिवार रात 8:45 बजे वाराणसी में निधन हो गया। 128 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। बाबा शिवानंद बीते तीन दिनों से बीएचयू (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती थे, जहाँ उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। उम्रजनित शारीरिक समस्याओं के चलते डॉक्टरों की पूरी टीम इलाज में जुटी थी, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।

सादा जीवन, उच्च विचार—योग ही थी जीवनशैली

बाबा शिवानंद का संपूर्ण जीवन योग, संयम और सादगी को समर्पित रहा। वह रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में उठकर कठिन योगासन और ध्यान करते थे। उनका आहार सीमित, सादा और उबला हुआ होता था। वह चावल का सेवन नहीं करते थे और कहते थे—“इच्छाएं ही दुख का कारण हैं।” उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया और स्वयं को ईश्वर और साधना के प्रति समर्पित रखा।

बचपन में भूख ने छीना परिवार

शिवानंद बाबा का जन्म 8 अगस्त 1896 को तत्कालीन बंगाल के श्रीहट्टी (अब बांग्लादेश में स्थित) में एक अत्यंत गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता और बहन की मृत्यु उस समय भूख के कारण हो गई जब वह मात्र 6 वर्ष के थे। इसके बाद उन्हें नवद्वीप के संत बाबा ओंकारानंद गोस्वामी के सान्निध्य में सौंपा गया, जहाँ से उनका आध्यात्मिक जीवन आरंभ हुआ।

स्कूल नहीं गए, फिर भी धाराप्रवाह अंग्रेज़ी बोलते थे

शिक्षा की कोई औपचारिक डिग्री न होते हुए भी बाबा शिवानंद धाराप्रवाह अंग्रेज़ी बोलते थे। उन्होंने सबकुछ अपने गुरुजी के माध्यम से सीखा। उनके शब्दों में जीवन का सार, अनुभव और गहराई स्पष्ट झलकती थी। वह कहा करते थे, "Attachment से ही मोह, मोह से ही दुख, और दुख से ही भटकाव जन्म लेता है।"

पद्मश्री सम्मान ने दिलाई राष्ट्रीय पहचान

21 मार्च, 2022 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित पद्म सम्मान समारोह में बाबा शिवानंद को 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। वह barefoot (नंगे पांव) राष्ट्रपति भवन पहुंचे। जब उन्हें सम्मान प्रदान किया गया तो उन्होंने घुटनों के बल झुककर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। यह दृश्य पूरे देश के लिए भावुक करने वाला था। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं अपनी कुर्सी से उठकर बाबा शिवानंद के सम्मान में झुके।

हर चुनाव में वाराणसी आकर करते थे मतदान

चाहे वे कहीं भी रहें, बाबा शिवानंद चुनाव के दिन विशेष रूप से वाराणसी आकर अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करते थे। उनका मानना था कि लोकतंत्र को मजबूत करने में हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है।

महाकुंभ में ली थी अंतिम डुबकी

2024 के प्रयागराज महाकुंभ में उन्होंने पवित्र संगम में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई थी। वह शिवभक्त थे और रोजाना रुद्राभिषेक, जप और योग साधना में लीन रहते थे। उनका कहना था कि शिव की भक्ति से ही शरीर, मन और आत्मा का शुद्धिकरण होता है।

हरिश्चंद्र घाट पर हुआ अंतिम संस्कार

बाबा शिवानंद का आश्रम वाराणसी के दुर्गाकुंड इलाके में स्थित कबीर नगर में है। वहीं से उनकी अंतिम यात्रा निकली और हरिश्चंद्र घाट पर विधिपूर्वक उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत, और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

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