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महाराष्ट्र की लाड़ली बहन योजना में बड़ा खुलासा: 2200 से अधिक सरकारी कर्मचारी पाए गए लाभार्थी

महाराष्ट्र की लाड़ली बहन योजना में बड़ा खुलासा: 2200 से अधिक सरकारी कर्मचारी पाए गए लाभार्थी

महाराष्ट्र की लाड़ली बहन योजना में 2200 से अधिक सरकारी कर्मचारी लाभार्थी पाए गए। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने खुलासा किया। जांच जारी।

Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी लाड़ली बहन योजना (Ladli Bahin Yojana) एक बार फिर विवादों में है। हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि योजना के लाभार्थियों में से 2200 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी पाए गए हैं। यह जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा की, जिससे सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

जांच में सामने आया घोटाला

मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि सरकार ने करीब 2 लाख आवेदनों की जांच की। इस जांच में यह सामने आया कि कई सरकारी कर्मचारी, जो इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं, उन्होंने योजना का लाभ उठाया। ऐसे 2,289 सरकारी कर्मचारी लाभार्थियों की सूची में शामिल पाए गए। अदिति तटकरे ने स्पष्ट किया कि ऐसे लाभार्थियों को योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा और उनके नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं।

पात्र लाभार्थियों को ही मिलेगा लाभ

मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि केवल पात्र महिलाओं को ही लाड़ली बहन योजना का लाभ मिले। इसके लिए आवेदन सत्यापन की प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी। यह एक नियमित प्रक्रिया होगी ताकि इस तरह के अनियमितताओं को समय रहते पकड़ा जा सके।

लाड़ली बहन योजना क्या है?

लाड़ली बहन योजना की शुरुआत अगस्त 2024 में हुई थी, जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर थीं। इस योजना के तहत 21 से 65 साल की उम्र की पात्र महिलाओं को 1500 रुपये मासिक सहायता देने का प्रावधान है। यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से लाई गई थी। लेकिन सरकारी कर्मचारियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि वे पहले से ही वेतन और अन्य सरकारी लाभों का लाभ उठा रहे हैं।

चुनाव में योजना का बड़ा असर

महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले लाड़ली बहन योजना को लॉन्च किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस योजना ने सत्तारूढ़ गठबंधन को चुनावी फायदा पहुंचाया। हालांकि, यह भी स्वीकार किया जा रहा है कि इस योजना ने राज्य के खजाने पर भारी दबाव डाला है।

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