पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में अरब डॉलर के बड़े फर्जीवाड़े का आरोपी नीरव मोदी ब्रिटेन के न्यायिक सिस्टम में लगातार जमानत के लिए प्रयास करता रहा है, लेकिन उसे अब तक सफलता नहीं मिली है। यूके की हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को दसवीं बार खारिज कर दिया है।
लंदन: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और आर्थिक अपराधी घोषित हो चुके नीरव मोदी को एक बार फिर ब्रिटेन की अदालत से करारा झटका लगा है। लंदन स्थित यूके हाई कोर्ट ने नीरव मोदी की 10वीं बार दाखिल की गई जमानत याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है। मोदी 2019 से ब्रिटेन की जेल में बंद है और भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। अब अदालत के इस फैसले से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को और मजबूती मिली है।
10 बार की कोशिशें, हर बार नाकामी
नीरव मोदी ने अब तक कुल दस बार जमानत के लिए याचिका दाखिल की है, लेकिन हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी है। अदालत ने बार-बार यह स्वीकार किया है कि नीरव मोदी के पास भारत लौटने से बचने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की आशंका है। इस बार लंदन के किंग्स बेंच डिवीजन ने उसकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि उसके खिलाफ मौजूद सबूत और भारत सरकार की ओर से दिए गए दस्तावेज इस बात को पुष्ट करते हैं कि वह एक गंभीर अपराध का दोषी है और जमानत मिलने पर न्याय की प्रक्रिया से बच सकता है।
सीबीआई और ईडी की दलीलें साबित हुईं प्रभावशाली
इस सुनवाई में भारत की केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने अदालत में तगड़ी पैरवी की। सीबीआई ने अपनी दलीलों में यह बताया कि नीरव मोदी के खिलाफ ठोस सबूत मौजूद हैं और उसे जमानत मिलने का मतलब होगा न्यायिक प्रक्रिया पर खतरा। वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस सुनवाई से पहले जानकारी दी थी कि नीरव मोदी के खिलाफ पीएमएलए (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें उसके द्वारा की गई मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर बैंकों को चूना लगाने के स्पष्ट प्रमाण हैं।
2019 से जेल में बंद, प्रत्यर्पण का रास्ता खुला
नीरव मोदी को मार्च 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया था और तभी से वह वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। उसके प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार ने ब्रिटेन से आधिकारिक आग्रह किया था, जिसे यूके की अदालत पहले ही मंजूरी दे चुकी है। हालांकि नीरव मोदी ने उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे दिसंबर 2022 में खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसके पास कानूनी रास्ते बेहद सीमित रह गए हैं।
6,498 करोड़ का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला
नीरव मोदी और उसका मामा मेहुल चोकसी भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक के आरोपी हैं। दोनों पर 6,498.20 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। यह राशि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) के जरिए विदेशी बैंकों से लोन दिलवाकर हासिल की गई थी। बाद में दोनों विदेश भाग गए। जहां चोकसी एंटीगुआ में नागरिकता लेकर बैठा है, वहीं नीरव मोदी लंदन में गिरफ्तार किया गया।
भारत सरकार के लिए बड़ी राहत
नीरव मोदी की जमानत याचिका की 10वीं अस्वीकृति भारत सरकार के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत मानी जा रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि ब्रिटेन की अदालतें भारत के न्यायिक तंत्र में भरोसा करती हैं और प्रत्यर्पण को लेकर कोई गंभीर आपत्ति नहीं है। अब नीरव मोदी के पास अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कोई बड़ा विकल्प नहीं बचा है।
अगर कोई नई कानूनी चुनौती नहीं दी जाती, तो आने वाले महीनों में उसे भारत लाया जा सकता है। भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय और जांच एजेंसियां इसके लिए पूरी तैयारी में जुटी हुई हैं।