अमेरिका ने ईरान पर टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया, जिससे परमाणु साइट को नुकसान पहुंचा। इस हमले से वैश्विक तनाव बढ़ा और ईरान की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
Tomahawk Missile: हाल ही में अमेरिका और इजरायल ने ईरान की परमाणु साइट्स पर एक संयुक्त सैन्य अभियान के तहत हमला किया, जिसमें अमेरिका ने अपने सबसे खतरनाक हथियार 'टॉमहॉक मिसाइल' का इस्तेमाल किया। इस ऑपरेशन ने न केवल रणनीतिक लिहाज़ से ईरान को झटका दिया बल्कि वैश्विक स्तर पर सुरक्षा चिंताओं को भी फिर से हवा दे दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस हमले की पुष्टि करते हुए दावा किया कि ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट को पूरी तरह तबाह कर दिया गया है।
क्या है टॉमहॉक मिसाइल?
टॉमहॉक मिसाइल, जिसे Tomahawk Land Attack Missile (TLAM) कहा जाता है, अमेरिका की नौसेना द्वारा विकसित की गई लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइल है। इसे खास तौर पर दुश्मन की ज़मीन पर स्थित रणनीतिक ठिकानों पर बेहद सटीक हमले के लिए डिज़ाइन किया गया है। टॉमहॉक को पनडुब्बियों और युद्धपोतों से लॉन्च किया जा सकता है और यह बिना किसी पायलट के हजारों किलोमीटर दूर स्थित टारगेट को तबाह कर सकती है।
टॉमहॉक की खासियतें
- लंबाई: 18.3 फीट
- वजन: 3,200 से 4,400 पाउंड (बूस्टर के साथ)
- वारहेड: 1,000 पाउंड का पारंपरिक विस्फोटक या क्लस्टर बम
- रफ्तार: 880 किलोमीटर/घंटा (Mach 0.74)
- रेंज: 1,550 से 2,500 किलोमीटर
- सटीकता: GPS, इनर्शियल नेविगेशन और टेरेन-मैपिंग तकनीक से लैस, जो 10 मीटर के भीतर लक्ष्य को भेद सकती है
ऑपरेशन में कैसे हुआ टॉमहॉक का इस्तेमाल?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी नेवी की पनडुब्बियों से लगभग 400 मील की दूरी से 30 टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं। ये मिसाइलें अत्यधिक सुरक्षा वाले दो अन्य संवेदनशील ठिकानों पर भी गिराईं गईं। टॉमहॉक की क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे दागने के बाद दुश्मन के पास कोई प्रतिक्रिया देने का मौका ही नहीं मिलता।
अमेरिका-इजरायल की साझेदारी
डोनाल्ड ट्रंप ने इस अभियान की जानकारी Truth Social पर साझा करते हुए इसे अमेरिका और इजरायल की अभूतपूर्व 'टीम वर्क' बताया। उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को धन्यवाद देते हुए कहा, 'हमने मिलकर वह किया जो दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा। यह एक निर्णायक और संदेश देने वाला हमला था।'
क्या है इसका वैश्विक प्रभाव?
इस हमले ने दुनिया को यह याद दिला दिया है कि अमेरिका के पास अब भी ऐसे हथियार हैं जो किसी भी देश की रक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर सकते हैं। टॉमहॉक मिसाइल के ज़रिए अमेरिका ने यह दिखाया है कि उसकी सैन्य शक्ति तकनीकी रूप से कितनी परिष्कृत है और किसी भी परिस्थिति में वह निर्णायक हमला करने में सक्षम है।
टॉमहॉक की इतिहासिक पृष्ठभूमि
टॉमहॉक मिसाइल की पहली बड़ी तैनाती 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान हुई थी, जब अमेरिका ने इराक पर यह मिसाइल दागी थी। इसके बाद इसे 2003 में इराक युद्ध, 2011 में लीबिया और 2018 में सीरिया में भी इस्तेमाल किया गया। यह मिसाइल अब तक अमेरिका की सबसे भरोसेमंद और सटीक हथियारों की सूची में शुमार है।
क्या ईरान देगा जवाब?
ईरान की तरफ से अभी तक इस हमले पर कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाई से पश्चिम एशिया में तनाव और अधिक बढ़ सकता है। ईरान पहले भी अमेरिका और इजरायल पर प्रतिशोध लेने की धमकी दे चुका है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में क्षेत्रीय भू-राजनीतिक समीकरण कैसे बदलते हैं।