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ईरान-इजरायल तनाव से बाजार गिरा ,कुछ शेयरों में तेजी

पिछले सप्ताह शेयर बाजार में कमजोरी देखने को मिली, और शुक्रवार को सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन ईरान पर इजरायल के हमले ने निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया। 

Share Market Update: बीते सप्ताह शेयर बाजार वैश्विक तनाव और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते कमजोर रहा। सेंसेक्स और निफ्टी में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा और शुक्रवार को बाजार पर सबसे ज्यादा असर ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव का देखा गया। इसके परिणामस्वरूप निवेशकों की जोखिम उठाने की प्रवृत्ति में गिरावट आई और उन्होंने सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख किया।

हालांकि इसी बीच कुछ शेयर ऐसे भी रहे जिनमें भारी मात्रा में खरीदारी देखी गई। खासकर Jubilant Ingrevia और Shipping Corporation of India (SCI) जैसे स्टॉक्स में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती दिखाई दी। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इन शेयरों में आज यानी सोमवार को तेजी देखने को मिल सकती है।

जियोपॉलिटिकल तनाव बना बाजार की कमजोरी की वजह

शुक्रवार को ईरान पर इजरायल के हमले के बाद वैश्विक बाजारों में चिंता की लहर दौड़ गई। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा, जहां दिन भर बिकवाली का माहौल बना रहा। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गिरावट देखी गई, खासकर उन कंपनियों के शेयरों में जिन्हें पश्चिम एशिया से व्यापारिक रूप से जोड़कर देखा जाता है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का मानना है कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और विदेशी निवेशकों की सतर्कता भारतीय बाजार में कमजोरी का कारण बन रही है। उन्होंने कहा कि जब तक भू-राजनीतिक तनाव में कमी नहीं आती, बाजार में स्थायित्व की उम्मीद नहीं की जा सकती।

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भी चिंता

मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष का असर केवल शेयर बाजार तक सीमित नहीं है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में भी भारी उछाल देखा गया है। ब्रेंट क्रूड की कीमत 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच चुकी है, जो इस साल का अब तक का उच्चतम स्तर है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो भारत जैसे आयात-निर्भर देश की अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे महंगाई भी बढ़ सकती है।

निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर

तेजी से बदलते आर्थिक और भू-राजनीतिक हालात को देखते हुए निवेशकों की प्राथमिकता अब जोखिम से दूर सुरक्षित विकल्पों की ओर होती जा रही है। यही वजह है कि हाल के दिनों में सोने और सरकारी बॉन्ड जैसे विकल्पों में निवेश में इजाफा हुआ है।

हालांकि, कुछ कंपनियों के शेयरों में मजबूती बनी हुई है और विशेषज्ञों की राय है कि बाजार की कमजोरी के बीच भी इन स्टॉक्स में तेजी की संभावना बनी हुई है।

Jubilant Ingrevia: निवेशकों की पसंद बनता स्टॉक

Jubilant Ingrevia, जो स्पेशलिटी केमिकल्स और फार्मा इंडस्ट्री से जुड़ी हुई कंपनी है, बीते शुक्रवार को बीएसई पर 2,043 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ टॉप ट्रेडिंग स्टॉक्स में शामिल रही। निवेशकों ने इस स्टॉक में जबरदस्त रुचि दिखाई है। इसके पीछे कंपनी की लगातार बेहतर होती वित्तीय स्थिति और मजबूत फंडामेंटल्स को वजह माना जा रहा है।

इसके अलावा, फार्मास्युटिकल्स और केमिकल सेक्टर को सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इन क्षेत्रों की मांग विश्व स्तर पर बनी रहती है, भले ही वैश्विक स्तर पर हालात जैसे भी हों।

SCI: बढ़ती मांग और मजबूत ग्रोथ आउटलुक

Shipping Corporation of India (SCI) भी पिछले सप्ताह के टॉप वैल्यू स्टॉक्स में से एक रहा, जिसमें 1,973 करोड़ रुपये का कारोबार दर्ज हुआ। यह कंपनी समुद्री माल परिवहन से जुड़ी हुई है और भारतीय सरकार की रणनीतिक योजना के तहत इसके निजीकरण की प्रक्रिया भी चल रही है।

निवेशकों को SCI में दोहरी संभावनाएं दिख रही हैं। एक तरफ बढ़ती वैश्विक लॉजिस्टिक्स डिमांड, दूसरी ओर कंपनी की वैल्यू अनलॉकिंग संभावनाएं, इसे आकर्षक निवेश विकल्प बनाती हैं।

ट्रेडिंग वॉल्यूम से मिलते हैं संकेत

एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर भी यह देखा गया कि SCI और Jubilant Ingrevia दोनों ही निवेशकों के बीच लोकप्रिय रहे। SCI का ट्रेडिंग वॉल्यूम एनएसई पर 8.63 करोड़ शेयर रहा, जबकि Jubilant Ingrevia का वॉल्यूम अपेक्षाकृत कम लेकिन वैल्यू में अधिक रहा, जो दर्शाता है कि संस्थागत निवेशकों ने इसमें भागीदारी दिखाई।

किन शेयरों में दिखा दबाव

जहां कुछ स्टॉक्स में मजबूती रही, वहीं कई कंपनियों के शेयरों पर बिकवाली का दबाव बना रहा। खासकर Tata Teleservices, IREDA, InterGlobe Aviation और Reliance Power जैसे स्टॉक्स में निवेशकों ने मुनाफा वसूली की। बाजार के आंकड़ों के मुताबिक बीएसई पर शुक्रवार को 4,122 शेयरों का लेन-देन हुआ, जिनमें से 2,595 में गिरावट और 1,401 में तेजी आई।

आगे की दिशा क्या होगी

मौजूदा स्थिति को देखते हुए बाजार की दिशा पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय हालात, कच्चे तेल की कीमतों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों पर निर्भर करेगी। अगर ईरान-इजरायल संघर्ष और बढ़ता है, तो शेयर बाजार पर नकारात्मक असर और गहराएगा। हालांकि घरेलू मोर्चे पर भारत की खुदरा महंगाई दर मई में भारतीय रिजर्व बैंक के तय दायरे से नीचे रही है, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

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