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मिथुन संक्रांति 2025: पितरों की कृपा और दोष निवारण के लिए करें ये विशेष कर्म

मिथुन संक्रांति 2025: पितरों की कृपा और दोष निवारण के लिए करें ये विशेष कर्म

हिंदू धर्म में प्रत्येक संक्रांति का विशेष महत्व होता है, लेकिन मिथुन संक्रांति को पितृ कृपा प्राप्ति और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। जब सूर्यदेव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तब इस खगोलीय घटना को 'मिथुन संक्रांति' कहा जाता है। इस वर्ष यह पावन दिन 15 जून 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा।

माना जाता है कि इस दिन किया गया तर्पण, दान और स्नान केवल धार्मिक नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि के लिए भी अत्यंत फलदायी होता है। आइए जानते हैं कि मिथुन संक्रांति के दिन कौन-कौन से विशेष कार्य करने चाहिए, जिससे पितर प्रसन्न हों और आपके जीवन के दोष दूर हो जाएं।

मिथुन संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व

संक्रांति का अर्थ है – संक्रमण या प्रवेश। मिथुन संक्रांति वह समय है जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं और यह परिवर्तन सकारात्मक ऊर्जा के संचार का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किया गया तर्पण और दान, पूर्वजों की आत्मा को संतोष देता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति आती है।

स्नान का पुण्य लाभ

मिथुन संक्रांति के दिन पवित्र नदी, सरोवर या जलाशय में स्नान करना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इससे तन और मन दोनों की शुद्धि होती है और यह आपको धार्मिक कार्यों के लिए तैयार करता है।

पितृ तर्पण करें – पितरों की आत्मा को दें शांति

  • स्नान के बाद, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों का ध्यान करें।
  • जल में काले तिल, जौ, और कुश डालकर तर्पण करें।
  • गोत्र का उच्चारण करें और 'गोत्रे अस्माकं वसुरूपणाम् श्राद्धं तिलोदकम् दातुं नमः' मंत्र बोलते हुए जल को अंगूठे और तर्जनी के बीच से तीन बार गिराएं।
  • यह प्रक्रिया पितरों को संतोष प्रदान करती है और पितृदोष को कम करती है।

सूर्य को अर्घ्य देना – दोषों का निवारण

सूर्यदेव को अर्घ्य देने से आत्मिक ऊर्जा का विकास होता है।

  • तांबे के लोटे में जल भरें
  • उसमें काले तिल, लाल फूल और गुड़ डालें
  • सूर्य को अर्घ्य देते समय 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।

यह उपाय सूर्य से जुड़ी नकारात्मकता को दूर करता है और स्वास्थ्य में सुधार लाता है।

अन्न और भोजन का दान – पूर्वजों को अर्पण

मिथुन संक्रांति के दिन किसी निर्धन, वृद्ध या ब्राह्मण को पका हुआ भोजन या कच्चा अन्न दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। आप चाहें तो खिचड़ी, पूरी-सब्जी, मिठाई इत्यादि बनाकर जरूरतमंदों को खिला सकते हैं।

इससे पितरों को संतोष मिलता है और जीवन में अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती।

काले तिल का दान – शनि दोष से मुक्ति

काले तिल का दान मिथुन संक्रांति पर विशेष महत्व रखता है।

  • इसे किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान करने से
  • शनि दोष शांत होता है
  • और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यह उपाय पितृ ऋण से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

गौ सेवा – पितृ आशीर्वाद पाने का सरल मार्ग

गौ सेवा करना हिन्दू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी कार्य माना गया है।

  • इस दिन गाय को हरी घास, गुड़, या चने खिलाना
  • आपके पितरों को प्रसन्न करता है
  • और घर में वास्तु दोष समाप्त होता है।

पीपल पूजन और दीपदान

मिथुन संक्रांति के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर, जल अर्पित कर और 'ॐ नमः भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।

  • यह उपाय पितरों को प्रसन्न करता है
  • और ग्रहों की शांति में सहायक होता है।

विशेष सावधानियां और धर्माचार

  • इस दिन मांस-मदिरा, क्रोध और अपशब्दों से परहेज करें।
  • जितना संभव हो, मौन रहें और ध्यान-भजन करें।
  • झूठ बोलने से बचें और सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।

मिथुन संक्रांति केवल एक ज्योतिषीय घटना नहीं, बल्कि पितृ प्रेम और आत्मिक शुद्धि का पर्व है। इस दिन किए गए तर्पण और दान के माध्यम से हम अपने पूर्वजों को श्रद्धा पूर्वक स्मरण करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन को समृद्ध बनाते हैं। 15 जून 2025 को इस पवित्र दिन पर आप भी इन सरल लेकिन प्रभावी उपायों को अपनाएं और अपने जीवन में पितृ कृपा प्राप्त करें।

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