लंबे इंतजार और कई अटकलों के बाद आखिरकार टेस्ला ने अपनी बहुप्रतीक्षित रोबोटैक्सी को लॉन्च कर दिया है।
टेस्ला: अमेरिकी टेक उद्यमी एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने दुनिया को एक और तकनीकी चमत्कार का अनुभव कराया है। लंबे समय से बहुप्रतीक्षित ड्राइवरलेस कार सेवा, जिसे रोबोटैक्सी के नाम से जाना जा रहा है, आखिरकार अमेरिका के टैक्सस राज्य की राजधानी ऑस्टिन में लॉन्च कर दी गई है। यह सेवा फिलहाल सीमित दायरे में और चुने गए लोगों के लिए उपलब्ध होगी, लेकिन इसके माध्यम से टेस्ला ने ट्रांसपोर्टेशन इंडस्ट्री को बदलने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ा दिया है।
मस्क का सपना बना हकीकत
एलन मस्क ने लगभग एक दशक पहले यह वादा किया था कि टेस्ला एक दिन ड्राइवरलेस टैक्सी लेकर आएगी। कई बार देरी और संशय के बाद, अब यह सेवा ऑस्टिन की सड़कों पर उतर चुकी है। रविवार को टेस्ला ने कुछ चुने हुए क्षेत्रों में रोबोटैक्सी की शुरुआत की। शुरुआती चरण में यह सेवा केवल कुछ ही वाहनों के साथ शुरू की गई है। कंपनी के मुताबिक आने वाले महीनों में इनकी संख्या सैकड़ों में पहुंच सकती है।
शुरुआत में सीमित सेवा
फिलहाल रोबोटैक्सी सेवा कुछ खास व्यक्तियों के लिए ही सीमित है। इन यात्रियों से फीडबैक लेकर कंपनी अपने सिस्टम में सुधार लाएगी। आम लोगों को इस सेवा के लिए कुछ समय और इंतजार करना होगा। यह प्रयोग न केवल टेस्ला के लिए एक बड़ा तकनीकी परीक्षण है, बल्कि निवेशकों की नजर में कंपनी की गिरती छवि को सुधारने का एक सुनहरा मौका भी है। हाल के महीनों में टेस्ला की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई थी और मस्क की व्यक्तिगत छवि पर भी सवाल उठे थे।
कैसी है यह रोबोटैक्सी
टेस्ला की यह ड्राइवरलेस कार पूरी तरह इलेक्ट्रिक है और इसमें किसी ड्राइवर की आवश्यकता नहीं है। मस्क का कहना है कि शुरुआत में 10 से 20 रोबोटैक्सी सड़कों पर होंगी, जिसे बाद में बढ़ाकर एक हजार तक किया जाएगा। इसके बाद कंपनी एक विशेष साइबरकैब पेश करेगी, जिसमें न स्टीयरिंग होगा और न ही पैडल। यह गाड़ी पूर्ण रूप से स्वचालित होगी और यात्रियों को सिर्फ गंतव्य दर्ज करना होगा।
तकनीकी आधार पर मजबूत
टेस्ला की रोबोटैक्सी "फुल सेल्फ ड्राइविंग" तकनीक पर आधारित है, जिसे कंपनी अपने वाहनों में पहले भी देती रही है। हालांकि, अभी तक यह तकनीक पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं थी और ड्राइवर की सतर्कता जरूरी थी। अब कंपनी पहली बार एक ऐसे सॉफ्टवेयर वर्जन का इस्तेमाल कर रही है जिसमें "अनसुपरवाइज्ड" तकनीक है। इसका मतलब यह है कि इन टैक्सियों को चलाने के लिए किसी भी मानवीय निगरानी की आवश्यकता नहीं होगी।
ट्रांसपोर्ट में क्रांतिकारी बदलाव की ओर
टेस्ला का यह प्रयोग ऑटोमोबाइल और परिवहन उद्योग में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। अगर यह सेवा सफल होती है तो यह आने वाले वर्षों में टैक्सी, कैब और व्यक्तिगत कार स्वामित्व की धारणा को पूरी तरह बदल सकती है। लोग एक बटन दबाकर बिना ड्राइवर की टैक्सी बुला सकेंगे और यात्रा कर सकेंगे। इससे सड़कों पर ट्रैफिक, एक्सीडेंट और ईंधन खपत जैसे पहलुओं पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
क्या हैं चुनौतियां
हालांकि, टेस्ला की इस नई सेवा के सामने कई चुनौतियां भी हैं। सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। अभी तक दुनिया में कोई भी ऑटोनोमस व्हीकल सेवा पूरी तरह से दोषमुक्त साबित नहीं हुई है। तकनीकी गड़बड़ियों, सॉफ्टवेयर फेलियर और साइबर हमलों जैसी समस्याएं अभी भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। साथ ही, कानूनी मान्यता और सरकारों की मंजूरी भी इस सेवा की सफलता में बड़ी भूमिका निभाएगी।
सामाजिक स्वीकृति की परीक्षा
एक और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या आम लोग ड्राइवर के बिना गाड़ी में यात्रा करने को लेकर सहज होंगे। इंसान की आदतों को बदलने में समय लगता है, और तकनीक के भरोसे पर भी आम जनता की सोच अलग-अलग होती है। कुछ लोग इसे रोमांचक अवसर मानेंगे तो कुछ इसे असुरक्षित और जोखिम भरा समझ सकते हैं।
भारत में क्या है संभावना
भारत जैसे देश में जहां सड़क सुरक्षा, ट्रैफिक नियम और इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति विकसित देशों से अलग है, वहां इस तकनीक की शुरुआत फिलहाल दूर की बात लगती है। लेकिन यदि यह सेवा अमेरिका और यूरोप में सफल होती है, तो भारत में भी आने वाले 5-10 वर्षों में इसकी संभावनाएं बन सकती हैं। टेस्ला पहले ही भारत में शोरूम खोलने की तैयारी में है और ऐसे में ऑटोनोमस व्हीकल की चर्चा यहां भी तेज हो सकती है।