कनाडा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं, लिबरल पार्टी चौथी बार सत्ता में लौटने की तैयारी में है। मार्क कार्नी फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं, ट्रंप के बयान को श्रेय दिया जा रहा है।
Canada Election 2025: कनाडा में 2025 के आम चुनाव के परिणाम सामने आने शुरू हो गए हैं और लिबरल पार्टी लगातार चौथी बार सत्ता में लौटने की तैयारी कर रही है। इस बार लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना अधिक दिख रही है। खास बात यह है कि इस जीत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर और उनके "कनाडा को 51वां राज्य बनाने" वाले बयान से जोड़ा जा रहा है। यह मुद्दा कनाडा के चुनावी माहौल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
लिबरल पार्टी बहुमत के करीब
कनाडा में कुल 343 संसदीय सीटें हैं, जिनमें से अधिकांश पर लिबरल पार्टी के उम्मीदवारों ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। कनाडा के सरकारी न्यूज चैनल कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (CBC) की रिपोर्ट के अनुसार, लिबरल पार्टी बहुमत के करीब पहुंच चुकी है, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलेगा या नहीं।
अगर लिबरल पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता है, तो यह मार्क कार्नी के लिए एक बड़ी जीत होगी। उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा हो सकता है, और यह सत्ता में उनकी पार्टी की चौथी बार वापसी को सुनिश्चित करेगा।
ट्रंप के बयान का विरोध और लिबरल पार्टी की रणनीति
लिबरल पार्टी की इस जीत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ पार्टी के मुखर रुख के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप ने अपनी चुनावी कैम्पेन के दौरान एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कनाडा को 51वां राज्य बनाने का प्रस्ताव रखा था। ट्रंप का यह बयान कनाडा में गहरी असहमति और विरोध का कारण बना, और इसके बाद से लिबरल पार्टी ने इस मुद्दे को अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बना लिया।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और उनकी पार्टी ने ट्रंप के इस बयान का खुलकर विरोध किया था, और इसे अपने चुनावी एजेंडे में प्रमुख स्थान दिया। उनका मानना था कि ट्रंप का यह बयान कनाडा की संप्रभुता के खिलाफ है और यह कनाडाई नागरिकों को अपमानित करता है। इस विरोध को कनाडा के लोगों ने सहारा दिया और लिबरल पार्टी के पक्ष में बढ़ते समर्थन को देखा गया।
यह मुद्दा कनाडा के चुनाव में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक एजेंडा बन गया, और इससे लिबरल पार्टी को सत्ता में लौटने का अवसर मिला। मार्क कार्नी ने इस मुद्दे को लेकर ट्रंप के खिलाफ सख्त रुख अपनाया और कनाडा में स्थिरता और स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर दिया।
जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा और मार्क कार्नी का नेतृत्व
कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में घट गई थी, और उनके नेतृत्व में कई विवाद सामने आए थे। महंगाई और आवास की कीमतों में बढ़ोत्तरी के कारण जनता में असंतोष था। इस असंतोष के कारण जस्टिन ट्रूडो को इस्तीफा देना पड़ा, और इसके बाद मार्क कार्नी को लिबरल पार्टी की कमान सौंपी गई।
मार्क कार्नी, जो पहले दो बार कनाडा के केंद्रीय बैंक के गवर्नर रह चुके हैं, ने अपनी आर्थिक नीतियों और राजनीतिक दृष्टिकोण से पार्टी का नेतृत्व संभाला। उनके पास एक मजबूत आर्थिक और राजनीतिक अनुभव है, जो उन्हें चुनावी मैदान में सफल बनाने में मदद कर सकता है।
महंगाई और चुनावी माहौल
कनाडा में महंगाई की दर पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गई है, और खाद्य और आवास की कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि देखी गई है। कनाडा के लोग इस बढ़ती महंगाई से परेशान थे, और उन्होंने सरकार के खिलाफ विरोध जताया था। इस विरोध ने जस्टिन ट्रूडो की स्थिति को कमजोर किया, और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
मार्क कार्नी ने महंगाई और अन्य आर्थिक मुद्दों पर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट किया और यह संदेश दिया कि वह कनाडा की आर्थिक स्थिति को स्थिर करने के लिए काम करेंगे। इसके साथ ही, ट्रंप के "51वां राज्य" वाले बयान का विरोध करते हुए उन्होंने कनाडा की संप्रभुता और स्वतंत्रता की रक्षा करने का वादा किया।
ट्रंप के बयान से सियासी हलचल
जब डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को 51वां राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया, तो यह बयान न केवल कनाडा में बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया। ट्रंप का यह बयान कनाडा के लोगों के लिए अपमानजनक था, और उन्होंने इसे राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ एक कदम माना।
लिबरल पार्टी ने इस मुद्दे को चुनावी प्रचार का हिस्सा बनाकर लोगों के बीच अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया। इसके बाद से कनाडा के चुनावी माहौल में एक नई हलचल देखने को मिली, और मार्क कार्नी की अगुवाई में लिबरल पार्टी को जनता का समर्थन मिला।