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डेंगू बुखार: कब तक रहता है बुखार और शरीर के किस अंग पर होता है सबसे ज्यादा असर?

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हर साल गर्मियों और मानसून के मौसम में डेंगू तेजी से फैलता है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं। यह बीमारी मच्छर द्वारा फैलती है और समय पर इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकती है। डेंगू से बचाव और इसके लक्षणों को समझना इसलिए बहुत जरूरी हो जाता है। 16 मई को देशभर में राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है, जिसका इस साल का विषय है — 'जल्दी कार्रवाई करें, डेंगू रोकें: स्वच्छ वातावरण, स्वस्थ जीवन।' इस लेख में हम जानेंगे कि डेंगू में बुखार कितने दिन तक रहता है, शरीर के किस अंग पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है, और इसके आम लक्षण क्या-क्या होते हैं।

डेंगू में बुखार कितने दिनों तक रहता है?

डेंगू का सबसे पहला और सबसे आम लक्षण तेज बुखार होता है। यह बुखार अचानक बहुत तेज आता है और सामान्यत: 2 से 7 दिन तक रहता है। कुछ मामलों में यह बुखार 10 दिनों तक भी जारी रह सकता है। बुखार के दौरान मरीज को बहुत ठंड लगती है, शरीर में कंपकंपी होती है और कभी-कभी पसीना भी आ सकता है। साथ ही, डेंगू में मांसपेशियों और जोड़ों में भी तेज दर्द महसूस होता है, इसलिए इसे 'ब्रेकबोन फीवर' यानी हड्डियां टूटने जैसा बुखार भी कहा जाता है।

डेंगू का तेज बुखार शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता को दिखाता है। अगर समय पर इलाज शुरू नहीं किया गया तो बुखार कम होने के बाद भी डेंगू के गंभीर लक्षण उभर सकते हैं, जैसे प्लेटलेट्स की कमी और रक्तस्राव की समस्या। इसलिए डेंगू के बुखार को हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि सही समय पर सही इलाज हो सके और बीमारी से जल्दी निजात मिल सके।

डेंगू का सबसे ज्यादा असर किस अंग पर पड़ता है?

डेंगू वायरस का सबसे अधिक असर हमारे शरीर की रक्त प्रणाली और दिल पर पड़ता है। डेंगू संक्रमण के कारण शरीर में रक्त की प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती है। प्लेटलेट्स रक्त को थक्का बनने में मदद करती हैं, जिससे ब्लीडिंग यानी रक्तस्राव से बचाव होता है। जब प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, तो शरीर में ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है, जो डेंगू के सबसे खतरनाक लक्षणों में से एक है।

दिल पर डेंगू का असर बहुत गंभीर हो सकता है। इस बीमारी के कारण दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और कभी-कभी हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ सकता है। इसके अलावा, डेंगू का असर लिवर (यकृत) और किडनी (गुर्दे) पर भी पड़ता है। ये अंग शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और रक्त को साफ करने का काम करते हैं। डेंगू के कारण इन अंगों की कार्य क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे मरीज की हालत गंभीर हो सकती है।

अगर डेंगू का समय पर सही इलाज न किया जाए तो डेंगू हैमरेजिक फीवर (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) जैसी जानलेवा स्थितियां पैदा हो सकती हैं। ये दोनों ही स्थितियां शरीर में भारी रक्तस्राव और अंगों के काम न करने जैसी गंभीर समस्याएं लेकर आती हैं। इसलिए डेंगू के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी है ताकि सही समय पर उपचार शुरू किया जा सके और जान का खतरा टाला जा सके।

डेंगू के सामान्य लक्षण क्या होते हैं?

डेंगू एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से एडिस मच्छर के काटने से फैलती है। यह बीमारी खासकर गर्मी और मानसून के मौसम में ज्यादा फैलती है। डेंगू के लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम या वायरल फीवर से अलग होते हैं, इसलिए इन्हें समझना और समय पर पहचानना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं डेंगू के सामान्य लक्षण जो जल्दी पहचान में मदद करते हैं:

  • तेज बुखार: डेंगू का सबसे पहला और प्रमुख लक्षण तेज बुखार होता है। यह बुखार अचानक आता है और शरीर का तापमान 102 से 104 डिग्री तक पहुंच सकता है। बुखार दो से सात दिनों तक रह सकता है, लेकिन कभी-कभी 10 दिन तक भी बना रह सकता है। तेज बुखार के साथ शरीर में ठंड लगना, कंपकंपी आना भी आम बात है।
  • सिरदर्द: डेंगू में सिरदर्द बहुत तेज होता है, खासकर माथे और आंखों के पीछे। यह दर्द इतना तीव्र हो सकता है कि व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। सिरदर्द के साथ आंखों के आसपास दर्द होना भी सामान्य है।
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: डेंगू को ‘ब्रेकबोन फीवर’ भी कहा जाता है क्योंकि इस बीमारी में हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है। यह दर्द पीठ, हाथ, पैरों और पूरे शरीर में महसूस होता है और मरीज को असहज बना देता है।
  • मतली और उल्टी: डेंगू के मरीजों में अक्सर मतली और उल्टी की शिकायत होती है। पेट खराब होना, भूख कम लगना और बार-बार उल्टी आना डेंगू के आम लक्षण हैं, जो शरीर की कमजोरी को बढ़ाते हैं।
  • त्वचा पर लाल चकत्ते: डेंगू के कुछ दिनों बाद शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने या चकत्ते उभरने लगते हैं। ये चकत्ते आमतौर पर छाती, पीठ और हाथ-पैरों पर दिखाई देते हैं। यह लालिमा खुजली के साथ भी हो सकती है।
  • खुजली: डेंगू के दौरान त्वचा में खुजली होना भी एक सामान्य लक्षण है। खुजली कभी-कभी लाल चकत्तों के साथ होती है और यह मरीज को परेशान कर सकती है।
  • थकान और कमजोरी: डेंगू के दौरान शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। मरीज को अत्यधिक थकान महसूस होती है, जिससे सामान्य कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है। यह कमजोरी बुखार उतरने के बाद भी कुछ समय तक बनी रह सकती है।

डेंगू से बचाव के लिए क्या करें?

डेंगू बीमारी का सबसे बड़ा कारण मच्छर होते हैं। इसलिए डेंगू से बचने के लिए मच्छरों से सुरक्षा करना बेहद जरूरी है। यदि हम कुछ सरल सावधानियां अपनाएं, तो डेंगू से बचाव संभव है। यहां डेंगू से बचाव के कुछ आसान और जरूरी तरीके बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सकता है।

  • घर और आस-पास सफाई रखें: मच्छर साफ-सफाई की कमी से ज्यादा पैदा होते हैं, खासकर जहाँ पानी जमा रहता है। इसलिए अपने घर के आसपास, छत, गटर, नालियों और खुले पानी वाले स्थानों को साफ-सुथरा रखें। टपकते नलों को ठीक कराएं और पानी जमने न दें। खड़े पानी में मच्छर के लार्वा तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए कहीं भी पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
  • मच्छरदानी और कीटनाशक का प्रयोग करें: रात को सोते समय मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें। साथ ही घर के अंदर मच्छर भगाने वाले स्प्रे, कॉइल या इलेक्ट्रिक मशीन का प्रयोग करें। इससे मच्छर घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाते और डेंगू का खतरा कम होता है।
  • पूरी आस्तीन और पैंट पहनें: जब भी आप बाहर निकलें, खासकर सुबह और शाम के वक्त, तो लंबी आस्तीन वाली शर्ट और पूरी लंबाई वाली पैंट पहनें। इससे मच्छर आपके शरीर पर काट नहीं पाएंगे। यदि संभव हो तो हल्के रंग के कपड़े पहनें क्योंकि मच्छर गहरे रंग को ज्यादा पसंद करते हैं।
  • सफाई अभियान में सक्रिय भाग लें: सरकार और स्थानीय प्रशासन समय-समय पर मच्छर नियंत्रण के लिए सफाई अभियान चलाते हैं। ऐसे अभियानों में भाग लेकर आप अपने इलाके को साफ रखने में मदद कर सकते हैं। आसपास के पानी जमा होने वाले स्थानों को साफ करवाएं और लोगों को भी डेंगू से बचाव के बारे में जागरूक करें।
  • घर के बाहर पानी जमा न होने दें: बारिश के मौसम में खास सावधानी बरतें क्योंकि बारिश के बाद पानी जमा होना आम बात है। बर्तन, टायर, पुराने बाल्टी, गमले और फूलदान में पानी जमा न होने दें। यदि जमा पानी हटाना संभव न हो, तो उसमें कोई मच्छररोधी दवा या तेल डालें जिससे मच्छर का लार्वा मर जाए।
  • साफ-सुथरी जगह पर रहना: घर के आसपास और अंदर की जगहों को हमेशा साफ-सुथरा रखें। गंदगी और गीली जगहों से मच्छर उत्पन्न होते हैं। इसलिए नियमित सफाई से मच्छर की समस्या को कम किया जा सकता है।

डेंगू के दौरान क्या करना चाहिए?

डेंगू एक गंभीर बीमारी है, इसलिए इसका सही समय पर इलाज और उचित देखभाल बेहद जरूरी है। यदि किसी को डेंगू हो जाता है तो कुछ सावधानियां अपनाकर आप जल्दी ठीक हो सकते हैं और गंभीर समस्या से बच सकते हैं। नीचे डेंगू के दौरान क्या करना चाहिए, इसे बताया गया है।

  • बुखार कम करने के लिए दवाइयां लें: डेंगू में तेज बुखार आता है, इसे कम करने के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाइयां लें। लेकिन ध्यान रखें, बिना डॉक्टर की सलाह के एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाइयां न लें। ये दवाइयां ब्लड थिनर होती हैं और इससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है, जो डेंगू में बहुत नुकसानदायक हो सकता है।
  • शरीर को हाइड्रेट रखें: डेंगू में शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसलिए खूब पानी पीते रहें। इसके अलावा नारियल पानी, फलों के ताजा जूस और सूप का सेवन करें। ये आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करते हैं और कमजोरी कम करते हैं।
  • पूरा आराम करें: डेंगू के दौरान शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। इसलिए ज्यादा थकान न लें और पूरी तरह आराम करें। शरीर को ठीक होने के लिए आराम की जरूरत होती है। भारी काम और तनाव से दूर रहें।
  • ब्लड टेस्ट कराते रहें: डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है, इसलिए डॉक्टर के निर्देशानुसार नियमित ब्लड टेस्ट कराते रहें। इससे डॉक्टर को आपकी सेहत की सही जानकारी मिलती है और वे उचित इलाज कर सकते हैं।
  • डॉक्टर की सलाह अनुसार इलाज करें: डेंगू के इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए दवा और देखभाल का पूरा पालन करें। खुद से कोई दवा न बदलें या न छोड़ें। डॉक्टर से नियमित संपर्क में रहें और उनकी सलाह का पालन करें।
  • खान-पान का ध्यान रखें: डेंगू के दौरान हल्का और पौष्टिक भोजन करें। तला-भुना और भारी खाना न खाएं। फलों और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं, ताकि शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलें और इम्यूनिटी मजबूत हो।

डेंगू का समय रहते इलाज क्यों जरूरी है?

डेंगू का समय पर इलाज बहुत जरूरी होता है क्योंकि अगर इसे जल्दी नहीं पहचाना और सही तरीके से इलाज नहीं किया गया, तो यह बीमारी गंभीर और जानलेवा रूप ले सकती है। डेंगू के शुरुआती लक्षण अक्सर बुखार, सिरदर्द, और बदन दर्द होते हैं, जिन्हें लोग सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यदि समय पर इलाज न हो, तो इससे शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है, जिससे रक्तस्राव और अंगों की कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे दिल, लिवर और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो सकते हैं, जो जीवन के लिए खतरा बन जाता है। 

राष्ट्रीय डेंगू दिवस के मौके पर यह समझना जरूरी है कि हमें स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए और मच्छरों के पनपने की जगहों को साफ रखना चाहिए। घर के आसपास जमा पानी को खत्म करना, कूड़ा-कचरा न फैलने देना और मच्छरदानी का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है। इस तरह की सावधानियां अपनाकर हम डेंगू जैसी बीमारियों से अपने परिवार और समाज को सुरक्षित रख सकते हैं। समय रहते जागरूकता और सही इलाज से डेंगू को हराना संभव है।

डेंगू एक खतरनाक लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है। इसके प्रति जागरूकता, सही समय पर इलाज और मच्छरों से बचाव इस बीमारी से लड़ने के सबसे बड़े हथियार हैं। तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और लाल चकत्ते जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। साथ ही अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें ताकि डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा कम हो। याद रखें, जल्दी कार्रवाई और साफ-सफाई से ही हम डेंगू को रोक सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

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