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Iran Israel Ceasefire: सीजफायर पर महबूबा मुफ्ती का बयान- ईरान का सबसे बड़ा हथियार 'ईमान'

Iran Israel Ceasefire: सीजफायर पर महबूबा मुफ्ती का बयान- ईरान का सबसे बड़ा हथियार 'ईमान'

ईरान-इजरायल सीजफायर पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ईरान ने ईमान और जज्बे से इजरायल को घुटने टेकने पर मजबूर किया। अमेरिका की भूमिका पर भी उठाए सवाल।

Iran Israel Ceasefire: ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव के बीच जैसे ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की, इस पर देश-विदेश में प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ईरान की सराहना की और इसे इस्लामिक देशों के लिए एक अहम मोड़ बताया।

ईरान की लीडरशिप और फौज को सलाम

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वह ईरान के लोगों, उनकी सेना और लीडरशिप को सलाम करती हैं। उन्होंने कहा कि जिस जज्बे से ईरान ने इस संघर्ष में हिस्सा लिया, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान के पास न तो अत्याधुनिक हथियार थे, न परमाणु शक्ति, लेकिन उनके पास "ईमान" का बल था। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

ईमान और शहादत का जज्बा सबसे बड़ा हथियार

महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा कि ईरान ने यह साबित किया है कि सबसे बड़ा हथियार हथियारों की ताकत नहीं बल्कि ईमान और शहादत का जज्बा है। उन्होंने कहा कि ईरान ने अमेरिका जैसे सुपरपावर के समर्थन से चलने वाले इजरायल को भी झुकने पर मजबूर कर दिया। यह इस्लामिक देशों के लिए एक अहम मोमेंट है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भले ही ना चाहता हो, लेकिन ईरान की साख इन घटनाओं के बाद और ऊंची हो गई है।

अमेरिका की भूमिका पर उठाए सवाल

महबूबा मुफ्ती ने अमेरिका की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिका ने इजरायल के कहने पर ईराक, अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया जैसे देशों को बर्बाद कर दिया। लोकतंत्र का नाम लेकर वहां हस्तक्षेप किया गया। उन्होंने कहा कि एक समय था जब अमेरिका के राष्ट्रपति की दुनिया में इज्जत होती थी, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद वह सम्मान कम होता गया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप क्या कहते हैं और क्या करते हैं, इसमें काफी विरोधाभास है। यह दुनिया के लिए चिंता की बात है।

सीजफायर की सच्चाई और इसकी पृष्ठभूमि

ईरान ने इजरायल पर मिसाइलें दागी थीं और कहा था कि अगर अब हमला नहीं होता है, तो वे सीजफायर को लागू करेंगे। इस प्रतिक्रिया के बाद ही अमेरिका ने छह घंटे के भीतर सीजफायर की घोषणा की। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका और इजरायल खुद चाहते थे कि यह संघर्ष थमे।

कतर की भूमिका और क्षेत्रीय संतुलन

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस बार ट्रंप को कतर जैसे देश की मदद लेनी पड़ी। यह बताता है कि अब क्षेत्रीय शक्तियों की भूमिका भी बढ़ रही है। यह दिन इस क्षेत्र के लिए एक मुबारक दिन है। उन्होंने कहा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच भी युद्ध जैसे हालात बन गए थे, तो अमेरिका ने ही बड़ी भूमिका निभाई थी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका ही कई बार युद्धों की शुरुआत का कारण बनता है, चाहे वह डायरेक्ट हो या इनडायरेक्ट।

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