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PM-KUSUM योजना 2025: किसानों की सिंचाई से बिजली-डीजल की चिंता खत्म, बचत और कमाई का नया रास्ता

पीएम कुसुम योजना 2025 का मकसद किसानों को सौर ऊर्जा के जरिए लाभ पहुंचाना और उनकी बंजर भूमि का उपयोग सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए करना है। इस योजना से किसानों की ऊर्जा लागत में कमी आती है और वे अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली बेचकर अतिरिक्त आय भी कमा सकते हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और सतत खेती को बढ़ावा मिलता है।

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम-कुसुम योजना किसानों को सौर ऊर्जा के फायदे समझाने और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए शुरू की गई है। 2019 में शुरू हुई इस योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र, सौर पंप और ग्रिड-कनेक्टेड सौर प्रणालियों के माध्यम से स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराई जाती है। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और उन्हें ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।

पीएम कुसुम योजना का विस्तार और उद्देश्य

कोविड-19 महामारी के कारण योजना के क्रियान्वयन में हुई देरी को देखते हुए, पीएम कुसुम योजना को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है। यह पहल किसानों को सौर ऊर्जा के फायदों से जोड़ने और उनकी बंजर भूमि का उपयोग सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इस योजना के तहत किसानों की ऊर्जा लागत में कमी आती है और वे अतिरिक्त बिजली बेचकर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं।

पीएम कुसुम योजना के तीन मुख्य घटक

  • घटक A: 10,000 मेगावाट की क्षमता वाले विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना।
  • घटक B: 20 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंपों की स्थापना।
  • घटक C: 15 लाख ग्रिड-कनेक्टेड सौर पंपों का सौर ऊर्जा से संचालित करना।

PM-KUSUM योजना 2025 से जुड़े ताजा आंकड़े

  1. योजना के तहत अब तक 1000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल की जा चुकी है, विशेष रूप से राजस्थान जैसे राज्यों में।
  2. मध्य प्रदेश में 2000 मेगावाट क्षमता वाले सौर संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  3. देशभर में लाखों किसानों ने सौर पंप इंस्टॉल किए हैं, जिनमें राजस्थान के बाड़मेर जिले में 2024-25 के लिए 600 सौर पंप लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
  4. केंद्र सरकार ने 2025 तक देश के 35 लाख किसानों को इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा है।

पीएम कुसुम योजना में सब्सिडी और वित्तीय सहायता का विवरण

  • सौर पंप और संयंत्र स्थापना पर कुल 60% तक की सब्सिडी मिलती है, जिसमें 30% केंद्र सरकार और 30% राज्य सरकार द्वारा दी जाती है।
  • इसके अलावा, बैंक लोन के रूप में लागत का 30% अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • इसका मतलब है कि किसानों को केवल 10% लागत खुद वहन करनी पड़ती है।
  • कई राज्यों में अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों के लिए प्रति संयंत्र 45,000 रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी भी उपलब्ध है।
  • किसान पीएम कुसुम योजना का लाभ पाने के लिए आधिकारिक वेबसाइट www.pmkusum.mnre.gov.in या पीएम कुसुम मोबाइल ऐप के जरिए आवेदन कर सकते हैं।

किसानों के लिए वरदान बनी पीएम कुसुम योजना

  • इस योजना के तहत किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त या कम कीमत वाली बिजली मिलती है, जिससे डीजल और बिजली की बचत होती है।
  • किसान अपनी अतिरिक्त सौर ऊर्जा ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।
  • जिन किसानों के पास असंचित या बंजर भूमि है, वे वहां सौर पैनल लगाकर अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। सौर पैनल इस तरह लगाए जाते हैं कि खेती में कोई बाधा न हो।
  • पीएम कुसुम योजना पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा का प्रयोग बढ़ता है।

पीएम कुसुम योजना के लिए पात्रता मानदंड

  1. योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास कृषि भूमि या बंजर भूमि का कानूनी स्वामित्व होना आवश्यक है।
  2. आवेदन व्यक्तिगत किसान के अलावा किसान पंचायत समूह, सहकारी समितियां, किसान समूह या जल उपयोगकर्ता संघ के माध्यम से भी किया जा सकता है।
  3. यह सुनिश्चित करता है कि योजना के लाभ सही पात्र किसानों तक पहुंचें और सौर ऊर्जा उत्पादन का व्यापक विस्तार हो सके।

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