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टेक्नोलॉजी पर बोले डीके शिवकुमार, बेंगलुरु में भी दिखेगा दिल्ली जैसा वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम

टेक्नोलॉजी पर बोले डीके शिवकुमार, बेंगलुरु में भी दिखेगा दिल्ली जैसा वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम

डीके शिवकुमार ने दिल्ली के सॉलिड वेस्ट प्लांट का दौरा किया और इसकी टेक्नोलॉजी की तारीफ की। उन्होंने कहा, यह मॉडल बेंगलुरु में भी अपनाया जाएगा।

Delhi: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने नई दिल्ली के सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल यूनिट का दौरा किया और इसे देश का सबसे आधुनिक और प्रभावी मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की Waste to Energy टेक्नोलॉजी से कचरे का प्रबंधन और बिजली उत्पादन प्रभावशाली ढंग से हो रहा है, जिसे वे अब बेंगलुरु में भी लागू करना चाहते हैं। डीके शिवकुमार ने यह भी स्वीकार किया कि बेंगलुरु में मौजूद वेस्ट प्लांट्स स्थानीय विरोध और बदबू की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन दिल्ली मॉडल इन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है।

दिल्ली की वेस्ट डिस्पोजल टेक्नोलॉजी

देश की राजधानी दिल्ली में Waste Management के क्षेत्र में की जा रही तकनीकी और व्यवस्थागत प्रगति अब दूसरे राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन रही है। हाल ही में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने दिल्ली के सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल प्लांट का दौरा किया और इसकी जमकर तारीफ की, उन्होंने कहा कि यह मॉडल न केवल अत्याधुनिक है, बल्कि यह भारत में अब तक देखे गए तमाम waste disposal systems में सबसे अधिक प्रभावी है।

सीमित स्थान में हो रहा है कचरे का स्मार्ट और सस्टेनेबल प्रबंधन

डीके शिवकुमार ने दौरे के बाद मीडिया से बातचीत में बताया कि नई दिल्ली के Waste to Energy Plant से 25 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है, वह भी बिना बदबू और प्रदूषण के। "हमारे राज्य कर्नाटक में हमने 10 से 15 मेगावॉट के कई संयंत्र लगाए थे जो असफल साबित हुए। लेकिन दिल्ली में 25 मेगावॉट का प्लांट सफलतापूर्वक चल रहा है। सीमित जगह में इतने बड़े पैमाने पर कचरे का प्रबंधन देखना सराहनीय है।"

जिंदल ग्रुप को मिली सराहना

दिल्ली के इस प्रोजेक्ट को जिंदल ग्रुप द्वारा संचालित किया जा रहा है। डीके शिवकुमार ने कहा, "मैं जिंदल ग्रुप को इतनी प्रभावी Waste to Power यूनिट स्थापित करने के लिए बधाई देता हूं। यहां की कार्यप्रणाली देखकर हमें भी सीख मिली है।" कहा कि वे इस मॉडल को कर्नाटक में लागू करने के लिए अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ विस्तृत चर्चा करेंगे।

अन्य शहरों से तुलना: चेन्नई, हैदराबाद और दिल्ली

डीके शिवकुमार ने बताया कि देश के अन्य शहरों में भी वेस्ट मैनेजमेंट की अलग-अलग तकनीकें अपनाई गई हैं। उन्होंने बताया:

चेन्नई: यहाँ कचरे से गैस बनाई जाती है।

हैदराबाद और दिल्ली: दोनों शहरों में कचरे से बिजली और गैस दोनों का उत्पादन हो रहा है।

दिल्ली: यहाँ Waste to Energy तकनीक का सबसे कुशल उपयोग हो रहा है।

बेंगलुरु में प्लांट लगाने की योजना

डीके शिवकुमार ने जानकारी दी कि बेंगलुरु में ठोस कचरे के निपटान के लिए चार बाहरी इलाकों को चिह्नित किया गया है, जिनमें से दो स्थानों पर प्लांट लगाने के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं।

हालांकि, स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से ये प्रोजेक्ट समय पर शुरू नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “बेंगलुरु और अन्य जिलों में वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट्स के खिलाफ लोगों का विरोध इसलिए होता है क्योंकि वहां बदबू आती है और आसपास का माहौल प्रदूषित हो जाता है।”

दिल्ली मॉडल से सीखा बिना बदबू वाला संचालन

दिल्ली के वेस्ट प्लांट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर बिना बदबू और प्रदूषण के संयंत्र को सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। यही वजह है कि डीके शिवकुमार इस मॉडल से खासे प्रभावित हैं।

उन्होंने कहा, “हमने दिल्ली के अधिकारियों के साथ बैठक कर मॉडल का गहन अध्ययन किया है। हमने देखा कि दिल्ली में आधुनिक तकनीक के माध्यम से संयंत्रों को इतना प्रभावी और स्वच्छ तरीके से चलाया जा रहा है कि वहां लोगों को किसी तरह की असुविधा नहीं होती।”

कर्नाटक सरकार करेगी नीतिगत अध्ययन

डीके शिवकुमार ने यह भी बताया कि उनकी सरकार दिल्ली की वेस्ट डिस्पोजल पॉलिसी का अध्ययन करेगी ताकि उसे कर्नाटक के लिए कस्टमाइज किया जा सके। राज्य में Waste Management को लेकर कई बार राजनीतिक और सामाजिक अड़चनें आती हैं, लेकिन दिल्ली का उदाहरण यह साबित करता है कि सही तकनीक और इच्छाशक्ति के साथ कोई भी चुनौती हल की जा सकती है।

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