मलयालम सिनेमा एक बार फिर चर्चा में है, और इसकी वजह हैं मोहनलाल की दमदार फिल्म 'थुडारम'। 2025 की शुरुआत में आई इस फिल्म ने सिर्फ आठ दिनों में अपनी पकड़ इतनी मजबूत बना ली कि हिंदी सिनेमा की कई बड़ी फिल्मों को पीछे छोड़ दिया।
Thudarum Box Office Collection Day 8: मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता मोहनलाल का नाम फिल्म जगत में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने यह मुकाम वर्षों की कड़ी मेहनत और शानदार अभिनय के बलबूते हासिल किया है। उनके प्रशंसक हर नई फिल्म का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इन दिनों मोहनलाल की हालिया रिलीज फिल्म 'थुडारम' सिनेमाघरों में शानदार प्रदर्शन कर रही है।
इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे टैक्सी ड्राइवर की भूमिका निभाई है, जो अपने परिवार से बेहद प्रेम करता है और जिसकी जिंदगी एक अप्रत्याशित मोड़ लेती है। फिल्म ने रिलीज़ के 8वें दिन तक बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त कमाई करते हुए भारत में ₹56.90 करोड़ और विश्व स्तर पर ₹119.80 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। यह फिल्म दर्शकों और समीक्षकों दोनों से भरपूर सराहना बटोर रही है।
थुडारम की कहानी: इमोशन और रियलिटी का जबरदस्त मिश्रण
फिल्म की कहानी एक साधारण टैक्सी ड्राइवर शानमुगम (मोहनलाल) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी पुरानी कार और उससे जुड़ी यादों को दिल से लगाकर रखता है। उसकी दुनिया तब हिल जाती है जब एक अप्रत्याशित हादसा उसे कानूनी पचड़ों में डाल देता है। वहीं, कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उसका संघर्ष न्याय, परिवार और आत्मसम्मान के लिए गहराने लगता है।
थुडारम की स्क्रिप्ट रियलिस्टिक टच लिए हुए है जो आम दर्शक से भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है। फिल्म में मोहनलाल और शोभना करीब दो दशक बाद एक साथ स्क्रीन शेयर करते नज़र आते हैं। उनकी केमिस्ट्री को देखकर यह महसूस होता है कि वक्त भले ही बीत गया हो, लेकिन उनके अभिनय की गहराई आज भी वैसी ही है।
8 दिनों में ₹59.75 करोड़ की कमाई
जहां कई हिंदी फिल्में 50 करोड़ तक पहुंचने में हांफ जाती हैं, वहीं थुडारम ने केवल आठ दिनों में ₹59.75 करोड़ का बिजनेस कर दिखाया। पहले ही दिन 5.24 करोड़ की ओपनिंग से संकेत मिल गया था कि यह फिल्म लंबी दौड़ की खिलाड़ी साबित होने वाली है। सिर्फ केरल ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु, कर्नाटक और ओवरसीज़ मार्केट में भी फिल्म की पकड़ मजबूत रही है। अनुमान है कि यह फिल्म आने वाले हफ्तों में ₹100 करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी। वो भी सिर्फ घरेलू बॉक्स ऑफिस से।
'ऑपरेशन जावा' और 'सऊदी वेल्लाक्का' जैसी फिल्मों से पहचान बना चुके निर्देशक थरुन मोइदीन ने थुडारम को बेहद संतुलन और संवेदनशीलता के साथ बनाया है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर और लोकेशंस भी कहानी की भावना को गहराई से दर्शाते हैं।
साउथ बनाम बॉलीवुड: क्यों पिछड़ रहा है हिंदी सिनेमा?
जहां बॉलीवुड को 2024 में केवल 'छावा' जैसी एक बड़ी हिट मिली, वहीं साउथ इंडस्ट्री लगातार प्रयोगधर्मी और कंटेंट-ड्रिवन फिल्में दे रही है। खासकर मलयालम सिनेमा, जो अब केवल क्षेत्रीय दर्शकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रहा है। मोहनलाल की थुडारम ने इस बदलाव को और पुख्ता कर दिया है। इसकी सफलता यह भी साबित करती है कि दर्शकों को अब स्टार नहीं, बल्कि कहानी चाहिए और साउथ इसे बखूबी समझ चुका है।