आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। बैंकिंग से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग और सरकारी योजनाओं तक, हर चीज़ की जानकारी अब SMS के ज़रिए हमें मिलती है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि कई SMS की सेंडर आईडी के आख़िर में S, P, G या T लिखा होता है? ये सिर्फ अक्षर नहीं हैं, बल्कि आपके लिए एक सुरक्षा कवच हैं, जो स्कैम से बचने में आपकी मदद कर सकते हैं।
TRAI की पहल से अब SMS पहचानना हुआ आसान
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने 2010 में एक खास नियम लागू किया था, जिसका मकसद मोबाइल यूज़र्स को स्पैम और धोखाधड़ी से बचाना था। इसके तहत सभी कंपनियों और संस्थाओं को TRAI में रजिस्टर होकर ही SMS भेजने की अनुमति दी जाती है।
TRAI द्वारा तय किए गए इस सिस्टम में SMS भेजने वाले को एक सेंडर ID दी जाती है, जिसके आख़िर में S, P, G या T में से कोई एक अक्षर होता है। ये अक्षर उस मैसेज की कैटेगरी को दर्शाते हैं – यानी यह बताता है कि आपको भेजा गया SMS किस प्रकार का है।
SMS के अंत में आने वाले S, P, G और T का मतलब क्या है?
अब बात करते हैं कि ये चार अक्षर आखिर क्या संकेत देते हैं:
S - सर्विस मैसेज: अगर किसी SMS की सेंडर आईडी के आख़िर में ‘S’ है, तो यह सर्विस से जुड़ा संदेश होता है।
उदाहरण: बैंक, टेलिकॉम कंपनियां, इंश्योरेंस फर्म आदि इस कैटेगरी में आते हैं।
कंटेंट: बैलेंस अलर्ट, प्लान रिन्यूअल, ऑफर डिटेल्स आदि।
क्या करें: ऐसे मैसेज सामान्यतः सुरक्षित होते हैं, लेकिन संदिग्ध लिंक से फिर भी बचें।
P - प्रमोशनल मैसेज: ‘P’ लिखा होने का मतलब है कि यह एक प्रमोशनल SMS है।
उदाहरण: शॉपिंग साइट्स, मार्केटिंग एजेंसियों आदि से आने वाले ऑफर्स।
कंटेंट: डिस्काउंट ऑफर, नया प्रोडक्ट, रजिस्ट्रेशन के लिए कॉल टू एक्शन।
क्या करें: अगर आप इस कंपनी से कोई जुड़ाव नहीं रखते, तो ऐसे मैसेज को नजरअंदाज़ करना ही बेहतर है।
G - गवर्नमेंट मैसेज : यदि SMS के अंत में ‘G’ लिखा है, तो यह किसी सरकारी एजेंसी द्वारा भेजा गया है।
उदाहरण: सरकारी योजनाएं, आधार अपडेट, कोविड टीकाकरण संबंधित जानकारी।
कंटेंट: आधिकारिक सूचना, चेतावनी या निर्देश।
क्या करें: ऐसे मैसेज गंभीरता से लें, लेकिन किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले ऑफिशियल वेबसाइट पर क्रॉस-चेक करें।
T - ट्रांजेक्शनल मैसेज : ‘T’ का मतलब है कि यह SMS किसी ट्रांजेक्शन से जुड़ा है।
उदाहरण: ATM ट्रांजेक्शन, ऑनलाइन भुगतान, पासवर्ड OTP।
कंटेंट: बैलेंस कटौती, UPI पेमेंट, लॉगिन OTP।
क्या करें: यह ज़रूरी मैसेज होते हैं, लेकिन यह भी ध्यान रखें कि फर्जी OTP मैसेज का खतरा भी यहीं ज्यादा होता है।
इन कोड्स से स्कैम से कैसे बच सकते हैं?
TRAI के कोड सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इससे आप आसानी से पहचान सकते हैं कि कौन सा मैसेज असली है और कौन सा फर्जी। मान लीजिए आपको किसी अनजान नंबर से ऑफर वाला SMS आता है और उसके आखिर में ‘S’, ‘P’, ‘G’ या ‘T’ में से कोई भी कोड नहीं है, तो वह मैसेज स्कैम हो सकता है।
इसी तरह, अगर आपको बैंक या पेमेंट से जुड़ा OTP मैसेज आता है लेकिन उसमें ‘T’ कोड नहीं है, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि ऐसे मैसेज के जरिए आपके साथ ठगी की कोशिश हो सकती है।
इन बातों का रखें ध्यान:
- बिना कोड वाले SMS को नजरअंदाज करें।
- कभी भी किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।
- अपने बैंक डिटेल्स, OTP या पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें।
- अगर कोई मैसेज भ्रमित करता है, तो संबंधित संस्था की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी पक्का करें।
- अपने फोन में एक बेसिक SMS स्पैम डिटेक्टर ऐप भी इंस्टॉल कर सकते हैं।
क्यों जरूरी है जागरूकता?
आज के समय में साइबर ठगी बहुत आम हो गई है। स्कैमर बैंक या सरकार के नाम से नकली मैसेज भेजते हैं और लोगों से पैसे या जानकारी चुरा लेते हैं। अगर आप TRAI के SMS कोड जैसे S, P, G, और T का मतलब जानते हैं, तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि कौन सा मैसेज सही है और कौन फर्जी।
इसलिए जरूरी है कि हम सब इस जानकारी को समझें और जागरूक बनें। अपने घर के बुजुर्गों, बच्चों और उन लोगों को भी यह जानकारी जरूर बताएं जो मोबाइल या टेक्नोलॉजी कम इस्तेमाल करते हैं, ताकि वे भी ठगी से बच सकें।
TRAI द्वारा जारी किए गए SMS के ‘S’, ‘P’, ‘G’ और ‘T’ कोड हमें मैसेज की विश्वसनीयता समझने में मदद करते हैं। इन कोड्स की सही जानकारी से हम स्पैम और धोखाधड़ी से बच सकते हैं। इसलिए इन संकेतों को पहचानना और सावधानी बरतना जरूरी है ताकि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहा जा सके।