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Long Covid और आपके बच्चे: जानिए कैसे पहचानें बच्चे में लॉन्ग कोविड के लक्षण और बचाव के उपाय

Long Covid और आपके बच्चे: जानिए कैसे पहचानें बच्चे में लॉन्ग कोविड के लक्षण और बचाव के उपाय
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कोविड-19 महामारी की तीसरी और चौथी लहर के बीच अब भी कोविड संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि वयस्कों में कोविड के लक्षण और उसके बाद की स्थिति के बारे में हम सब जानते हैं, लेकिन बच्चों में इस बीमारी का असर और खासतौर पर लॉन्ग कोविड की समस्या पर अभी भी जागरूकता कम है। हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 15 प्रतिशत बच्चे कोविड संक्रमण के बाद लंबे समय तक (3 महीने से अधिक) लक्षणों से पीड़ित रहते हैं, जिसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है। इस लेख में हम आपको बच्चों में लॉन्ग कोविड के लक्षणों, उनके प्रभाव और बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

लॉन्ग कोविड क्या है? बच्चों में इसकी परिभाषा

लॉन्ग कोविड वह स्थिति है जिसमें कोविड-19 संक्रमण से ठीक होने के बाद भी, कम से कम तीन महीने तक बीमारी के लक्षण बने रहते हैं या नए लक्षण विकसित हो जाते हैं। यह स्थिति बच्चों में भी देखी जा रही है, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। छोटे बच्चों और प्रीस्कूल उम्र के बच्चों में ये लक्षण वयस्कों से अलग हो सकते हैं, इसलिए माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए इसे समझना आवश्यक है।

बच्चे भी लॉन्ग कोविड से प्रभावित

जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक बड़े अध्ययन में 472 शिशुओं और 539 प्रीस्कूल उम्र के बच्चों को शामिल किया गया। अध्ययन में पाया गया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों में लगभग 14 प्रतिशत और तीन से पांच साल के बच्चों में लगभग 15 प्रतिशत में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे गए।

विशेष रूप से, छोटे शिशुओं और नन्हे बच्चों में सोने में परेशानी, चिड़चिड़ापन, भूख में कमी, नाक बंद होना और खांसी अधिक देखी गई, जबकि तीन से पांच साल के बच्चों में सूखी खांसी और दिन के समय थकान या ऊर्जा की कमी अधिक आम थी। कुल मिलाकर, लगभग 74 प्रतिशत प्रीस्कूलर बच्चों में सूखी खांसी एक सामान्य लक्षण थी।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि बड़े बच्चों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण जैसे ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, चक्कर आना, सोने में परेशानी और कभी-कभी व्यवहार में बदलाव भी देखने को मिले हैं।

बच्चों में लॉन्ग कोविड के मुख्य लक्षण

  • नींद में खलल: बच्चे नींद पूरी नहीं कर पाते, बार-बार जागते हैं या सोने में असमर्थ होते हैं।
  • चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स: बच्चे सामान्य से ज्यादा चिड़चिड़े हो सकते हैं, जल्दी गुस्सा या परेशान हो जाते हैं।
  • भूख में कमी: कई बच्चों में भूख कम लगना या खाने में अरुचि देखी गई।
  • नाक बंद होना और खांसी: सांस लेने में थोड़ी दिक्कत और सूखी या गीली खांसी भी आम है।
  • थकान और कम ऊर्जा: बच्चे दिन भर अधिक थके हुए महसूस करते हैं और खेलने-कूदने में मन नहीं लगता।
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: पढ़ाई या खेल के दौरान ध्यान कम रहता है, जो बड़े बच्चों में ज्यादा देखा जाता है।
  • शारीरिक दर्द: सिरदर्द, पेट दर्द, पीठ या गर्दन में दर्द और कभी-कभी उल्टी की शिकायत हो सकती है।

लॉन्ग कोविड का बच्चों पर असर: जीवन की गुणवत्ता और विकास

एमजीएच के बायोस्टैटिस्टिक्स रिसर्च एंड एंगेजमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर तनयोट थावेथाई के अनुसार, छोटे बच्चों में लॉन्ग कोविड के लक्षण वयस्कों और बड़े बच्चों से भिन्न होते हैं और ये लक्षण बच्चों के स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं, उनकी सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों पर भी असर पड़ता है।

माता-पिता और अभिभावकों के लिए जरूरी सलाह

  • लक्षणों पर नजर रखें: यदि आपके बच्चे में कोविड संक्रमण के बाद तीन महीने से ज्यादा समय तक कोई भी असामान्य लक्षण बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • सही समय पर जांच और उपचार: बच्चे की स्थिति के अनुसार आवश्यक जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार इलाज शुरू करें।
  • संतुलित आहार और पर्याप्त आराम: बच्चों को पौष्टिक आहार दें और पर्याप्त नींद व आराम का ध्यान रखें ताकि उनका शरीर मजबूत हो सके।
  • मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान: बच्चे के मनोदशा और व्यवहार में बदलाव आने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेना न भूलें।
  • टीकाकरण आवश्यक: बच्चों को कोविड का टीका जरूर लगवाएं, जिससे संक्रमण का जोखिम और गंभीरता कम हो सके।

लॉन्ग कोविड पर अधिक शोध और जागरूकता की आवश्यकता

इस अध्ययन ने एक महत्वपूर्ण पहल की है कि बच्चों में कोविड के दीर्घकालिक प्रभावों को समझना बेहद जरूरी है। क्योंकि छोटे बच्चे अपने लक्षणों को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाते, इसलिए देखभाल करने वालों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में लॉन्ग कोविड के प्रभावों का और अधिक गहराई से अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि प्रभावी निदान और उपचार के तरीके विकसित किए जा सकें।

लॉन्ग कोविड केवल वयस्कों की समस्या नहीं है, बल्कि छोटे बच्चे भी इससे गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने बच्चों में कोविड संक्रमण के बाद लंबे समय तक बने रहने वाले लक्षणों को पहचानें और समय पर चिकित्सीय सहायता लें। संतुलित पोषण, पर्याप्त आराम और टीकाकरण के साथ-साथ बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है। भविष्य में बच्चों में लॉन्ग कोविड के बारे में जागरूकता और शोध बढ़ाने से हम इस समस्या से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे।

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